Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

तयशुदा पैमाने हैं

Advertiesment
हमें फॉलो करें तयशुदा पैमाने हैं
- सरोजनी नौटियाल

1 अक्टूबर 1956 को देहरादून में जन्म। हिन्दी साहित्य में बीए ऑनर्स, अर्थशास्त्र में एमए, बीएड और संस्कृत में बीए। का‍दम्बिनी, सरिता, गृहशोभा, युगवाणी आदि पत्रिकाओं में कहानियाँ, कविताएँ, लेख और साक्षात्कार प्रकाशित। आकाशवाणी नजीबाबाद द्वारा वार्ता प्रसारित। कवि सम्मेलनों में नियमित सहभागिता। संप्रति राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में देहरादून में लेक्चरार।

ND
ऐ स्त्री समाज में तेरे लिए
तयशुदा पैमाने हैं
तेरी कोशिश है
तू उसी में देखी जाए और समझी जाए
तुझे प्रेम और करुणा की
देवी कहा गया
तुझे त्याग और समर्पण की
प्रतिमूर्ति कहा गया
इससे भी आगे
यत्र नार्यस्तु पूजन्ते रमन्ते तत्र देवता
भी लिखा गया
तुम्हारे हृदय को असामान्य रूप से
बढ़ा हुआ मान लिया गया
जिसमें इस लोक की समस्त विसंगतियाँ
विलीन हो जाती हैं
भाई के समक्ष तुम्हारी अहमियत
पति के घर तुम्हारी हैसियत
तुम्हें लेकर समाज की कैफियत
तुम सबमें समरसता से जी जाती हो
ऐसी तुम्हारी नियति बना दी गई है
तुम पति को देखे बिन भी
विधवा होती रही हो
पति के संग भी परित्यक्त रही हो
इस निर्लज्ज लोक ने
लज्जा की पोटली तुम्हें थमा दी है
इसे ढोना ही तुम्हारा स्त्रीत्व है
हे विशाल हृदया!
तुम पति के शव के साथ
जिन्दा जलाई जाती रही हो
दहेज के लिए
आग से आज भी
झुलसा दी जाती हो
अब तो अस्तित्व में आने से पहले ही
माँ की कोख में मार दी जाती हो
जलने-मरने का अभ्यास है तुम्हें
हे अग्निप्रिया!
तुम्हें अपनाया जाता है
तुमने पति को छोड़ा
तुम कुलटा हो
पति ने तुम्हें छोड़ा
तुम परित्यक्ता हो
हर हाल में विशेषण तुम्हीं को मिलेगा
तुम्हारे लिए विशेषणों की कमी नहीं है
तुम्हें तुम्हारे नाम से कम
विशेषणों से अधिक पुकारा जाता है
तुम विशेषणों से घिरी हो नारी
कब पहचानोगी अपने को?
साहस?
साहस तो पुरुषों का भूषण है पगली
स्त्री साहस तो एक दुर्घटना है
तुम्हारे साहस से तुम्हारे अपने ही
कितने सहज हो जाते हैं
समाज में कमजोर पड़ जाते हैं
इसलिए तो
तुम्हें सहनशीलता का पाठ पढ़ाया जाता है
शर्म और हया की दुहाई पर
विषपान कराया जाता है
तुम अंदर से दरक जाती हो
तुम्हारा वजूद आँसू बन बह जाता है
तुम्हारा और आँसू का रिश्ता
सदियों से बदस्तूर चला आ रहा है
इस असमंजसभरे माहौल में
तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है
शिव ने एक बार विषपान किया
और वे नीलकंठ हो गए
तुम तो रोज विष पीती हो
जाने कितनी बार
खुद से लड़ती हो
और हर बार हार जाती हो।

साभार- गर्भनाल

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi