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सुषमा श्रीवास्तव20
दिसंबर 1958 को हाथरस (उत्तरप्रदेश) में जन्म। दयालबाग एजूकेशनल इंस्टीट्यूट, आगरा से संस्कृत में एम.ए., एम.एड.। नई दिल्ली, बगदाद एवं सिंगापुर में अध्यापन कार्य। विद्यालय पत्रिका 'साधना' का संपादन। लघु नाटकों, नृत्य-नाटिकाओं का लेखन व मंचन। 'अनुभूति', 'हिन्दी चेतना', 'साहित्य- कुंज' आदि पत्रिकाओं में लेख और कविताएँ प्रकाशित। वर्तमान में अमेरिका में निवास।
पाँच राजवंशों की राजधानी,
प्राकृतिक संपदा की धनी,
आधुनिक तकनीक और फैशन से सजी,
बीजिंग, ओलिंपिक की मेजबान बनी।
पाँच शुभंकर प्यारे-प्यारे,
स्वागत करते बाँहें फैलाकर,
बेई बेई जिनजिन, ह्वान हुवान,
यिन यिन और नी नी,
घूम-घूम कर देश-देश में,
मित्रता और शान्ति का दे पैगाम,
ओलिंपिक मशाल को प्रतीक बना,
रचेंगे अनोखा इतिहास अपना,
हम एक, हमारा एक सपना।
पाँच रंगों में सजे शुभंकर,
पाँच तत्वों का करें आह्वान,
क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा,
प्रकृति और दर्शन का सुमिश्रण,
पारंपरिक वेशभूषा से अलंकृत,
शान से शीश पर मुकुट सजाए,
कला और संस्कृति की धरोहर सँजोए,
हरित ओलिंपिक की ध्वजा फहराए।
आठ अगस्त सन् दो हजार आठ,
ओलिंपिक नीड़ रूपी स्टेडियम में,
आठ बजकर आठ मिनट की बेला,
हर चीनी नागरिक का स्वप्न करे पूरा।
अतुलित विविधताओं से पूर्ण शुभंकर,
संपूर्ण विश्व में मित्रता का,
स्नेह-सिक्त पैगाम बिखेरे।
- गर्भनाल से साभार