मां का सुख
- प्रो. डॉ. पुष्पिता अवस्थी
मां
संतान को जन्म देकर
अपने भीतर सोख लेती है
'मां'बनने की संपूर्ण यातना
और लोरी में गाती है-
सिर्फ सुख और सपने
मां
खिलाती है अपने जीवन का कौर
संतानों को
अपने हर सुख को
छोटा कर देती है
बच्चों के सुख को
बड़ा करने के लिए
मां
अपने सपनों में भी
नहीं बचा रखती है जगह
अपने लिए
जीवनभर
घर में
रहते हुए मां
विश्व को बना देती है
अपने बच्चों का घर
मां
जन्म
जीवन
मृत्यु की धारित्री है
ईश्वरीय शक्ति की तरह