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युवा का जीवन लक्ष्य - भाग 4

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गतांजारी....
GN
माथुर दम्पति का सोसाइटी में उठना-बैठना बहुत कम हो गया साथ ही उन्होंने समय के साथ समझौता कर लिया। इसके सिवा उनके पास कोई चारा भी तो नहीं था। आखिर युवा उनकी इकलौती बेटी है। जो कुछ उनका है वह युवा का है।

उन्होंने बहुत चाहा कि युवा घर लौट आए और वे उसका विवाह इयन के साथ करा दें। पर युवा नहीं मानी, वह घर नहीं लौटी। उसने इयन के साथ घर बसा लिया और अब वह इयन के साथ अपने फ्लैट में आने वाले मेहमान की उत्साह से तैयारी करने में व्यस्त हो गई। उसे दुनिया जमाने की कोई परवाह नहीं थी।

इयन के माँ-बाप और मीरा रुपए-पैसे की मदद उसे देना चाहते, पर युवा आत्मनिर्भर ही रहना पसंद करती। धीरे-धीरे मीरा और अजय के भी समझ में आ गया कि युवा अपना जीवन अपनी मर्जी से जीना चाहती है। वह हठीली है, खुद्दार है। अपने व्यक्तिगत जीवन में उसे किसी का हस्तक्षेप नहीं पसंद है।

समय के साथ इयन और युवा का रिश्ता और पक्का होता गया। दोनों एक-दूसरे के प्रति प्राकृतिक प्रेम से प्रतिबद्ध थे। संबंध हृदय की गहराइयों से बनते हैं कागज के टुकड़ों या फेरों से नहीं। इयन, युवा का पूरा ख्याल रखता। पढ़ाई के साथ वह भी यंग लेबर पार्टी का काउंसिलर हो गया। सोशल सेक्युरिटी से मिला धन और इयन का वेतन युवा जैसी सुघड़ गृहिणी के लिए काफ़ी था। युवा के दिन सोने के और रातें चाँदी की। वह खुश थी और बहुत खुश थी।

हाँ, जब कभी सुपर-मार्केट या शॉपिंग-सेन्टर में उसके तथाकथित अंकल-आंटी मिल जाते तो युवा के बढ़े हुए पेट पर हिकारत से नजर डालते हुए उसे ताना मारने से नहीं चूकते, 'देखना युवा, जल्दी ही तुझे अपनी गलती का एहसास हो जाएगा, ये अँग्रेज ज्यादा दिन किसी का साथ निभाने वाले नहीं।'

युवा कहती, 'आप लोगों ने कितने अँग्रेजों से संबंध बनाए हैं, जो इस तरह की बातें करते हैं... अच्छे-बुरे लोग हर समाज में होते हैं। इयन के माता-पिता से हमारा बहुत अच्छा संबंध है। वे लोग मेरा पूरा ख्याल रखते हैं। वैसे हम किसी के मोहताज नहीं है... वी आर सेल्फ़ सफिशियन्ट आंटी। आप तो हमारी बिलकुल ही चिंता न करें।'

और आंटियाँ मुँह बिचकाती हुई आगे बढ़ जाती मानों वह अछूत हो। ऐसे समय में जरूर उसे अपने भारतीय समाज के छिछलेपन और पाखंड पर वितृष्णा होती। उसे समझ नहीं आता कि उसके अपने लोग उसके जज्बात और निर्णय को क्यों सहजता से नहीं लेते। अगर वह अन्य लड़कियों से भिन्न है तो क्या?' उसकी आवश्यकता हर तरह से प्राकृतिक है उसे घर-गृहस्थी और बच्चे-कच्चे अच्छे लगते हैं।

कोई जरूरी तो नहीं कि हर लड़की बैंकों और ऑफिसों में ही काम करे। सबकी अपनी-अपनी पसंद होती है। उसे घर-गृहस्थी ही पसंद है तो लोगों को क्यों एतराज है?

मम्मी-डैडी अब अक्सर युवा का हाल-चाल लेने आ जाते। युवा भी सोचती अब मन में मैल रखने से कोई फ़ायदा नहीं। धीरे-धीरे यूँ भी सब सहज होते जा रहे थे। और फिर उस दिन जब मम्मी-डैडी ने अस्पताल में आर्यन को गोद में लिया तो जैसे पल भर में एक नैसर्गिक विद्युत तरंग ने उनकी दुनिया बदल दी। उन्हें लगा जैसे उनके चारों ओर हजारों-लाखों रंग-बिरंगे फूल खिल उठे हों, ढेरों नन्ही-नन्ही चिड़ियाँ उनकी मन-बगिया में चहचहाती हुई फुदकने लगी हैं। मम्मी-डैडी ने प्रसन्नता के साथ पूछा, 'क्या नाम रखा है मेरी बेटी ने बेबी का?'

'आर्यन माथुर मेकेंजी' युवा और इयन एक साथ बोल पड़े।

'हाऊ वान्डरफुल! युवा मेरी बच्ची तूने हमें संसार का सबसे क़ीमती तोहफा दिया है।' फिर जरा रुककर भरे गले से बोले, 'वी आर सॉरी फ़ार आवर पास्ट मिस्अन्डरस्टैन्डिंगस्‌। होप यू विल फरगिव अस।' कहते हुए माथुर-दम्पति ने इयन के माता-पिता की ओर देखते हुए कहा, 'हमारे यहाँ की रीत है कि जच्चगी के बाद लड़की सबसे पहले माँ के घर जाती है। अगर आप लोग आज्ञा दें तो हम युवा और बच्चे को कुछ दिनों के लिए अपने घर ले जाएँ।'

मिस्टर मेकेन्जी ने ठहाका लगाया और कहा, 'यू शुड आस्क इयन एन्ड युवा। इट इज देयर पेरॉगटिव, दे आर रिस्पांसिबल पैरेन्ट्स। एन्ड दे आर द वन हू विल मेक सच डिसीजन्स।'

युवा ने इयन की ओर देखते हुए कहा, 'नहीं, मम्मी, अभी नहीं। हम पहले अपने घर जाएँगे। इयन को चार हफ्ते की ऑफिस से पितृत्व की छुट्टी मिली है। तीन-चार हफ्ते तो हमें आर्यन के साथ सामंजस्य बैठाने के लिए ही चाहिए। जैसे ही हम सहज महसूस करेंगे। हम आपसे मिलने आ जाएँगे।'

माथुर दंपति ने युवा और इयन को स्नेह से देखते हुए कहा, 'हम तुम्हारे निर्णय का आदर करते हैं युवा। हमें तुम दोनों और आर्यन का इंतजार रहेगा।'

'ओ.के. आई लव यू मम्मी-डैडी... नाउ आई एम टायर्ड एन्ड आई वान्ट टु स्लीप...' कहते हुए युवा ने आँखों के इशारे से इयन को बेड के चारों-ओर लगे फूलदार पर्दे खींचने के लिए कहा... (समाप्त)

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