वह कोमल सी प्यारी मानो थी पंखुड़ी गुलाब की
आई जीवन में मेरे, तब मेरी जीवन बगिया महका दी
लाडो रानी, प्यारी पर थी बड़ी सयानी भी
तू रही बेखबर इस दुनिया के झूठे जंजालों से
तू खुश रहती बस अपने पास वालों से
लिए निर्मल मन करती घर में सवेरा तू
हंसी से महकाती घर, आंगन मेरा तू
जीवन ज्योत जल जाती मानो तेरे आने से
लोग मुस्कुराते थे मेरे इतराने से
मैं इतराती एक बेटी की मां कहलाने से
आज है जन्मदिन तेरा, दूं क्या तोहफा लाड़ली तुझे
ले आई हूं यादों की बगिया से कुछ फुल
स्नेह सरिता में डूबकर अर्पण करूं तुझे
कहते लोग बेटी धन है पराया,
पर आज तलक बात न समझ सकी मैं
बेटी जितनी अपनी होती दुनिया में,
नहीं होता उतना अपना कोई और
देखे कई रिश्ते और नाते
सिर्फ प्यार से वह थे भरमाते
उसमें न दिखा कहीं तुझ-सा प्यार
तू ही देती रही सदा सच्चा प्यार हमें...
लाडो रानी हैप्पी बर्थ डे...।