Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

नए साल पर कविता : हम तुम किसी से कम नहीं

हमें फॉलो करें Happy new year 2023 poem
webdunia

रेखा भाटिया

आ री सखी ! तू क्यों उदास है
किस बात का ग़म है
क्या हम-तुम किसी से कम हैं
जीवन में सर्दी से घबरा रही है
 
देख सखी री, महसूस कर
महकती ऋतुएं आती-जाती
शीत की सिरहन क्या सिखलाती
समर्पण पत्तियों का, रंग बदलता
 
ख़ामोशी से विदा होकर
नए जीवन को जीवन दान देता
सर्दी अनमोल है, नीरसता में मोल है
शामल रंग में सभी रंग हैं
 
साल के अंत में आता क्रिसमस
आनंदित घर-आंगन और जग जगमग
सांता लाता भेंट सभी की, पोटली भर-भर
दोस्त, परिवार मुस्कराते करते नए साल का स्वागत  
 
आ सखी, ओढ़ाऊं तुझे उम्मीदों का कंबल
यहां सर्दियों का गुलाबी मौसम है जीवन का
याद है मां कितने जुगाड़ लगाती थी सर्दी में
पुराने कंबलों को धूप दिखा भर देती थी ऊर्जा
 
फ़टे स्वेटरों में रंगीन फूल काढ़ नया कर देती
छोटे स्वेटरों से गरीब की सर्दी गर्मा देती
गाजर हलवा, सौंठ के लड्डू, तिल की चिक्की
फिर कड़वे काढ़े से पूरी बीमारी भगा देती
 
आ सखी री इस सर्दी जुगाड़ लगाते हैं
साल बीता, अब है जीवन का क्रिसमस
आने वाले नए साल का जश्न मनाने के लिए
इस गुलाबी ठंड में हाथ थाम लें एकदूजे का !
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

प्रवासी कविता : कैलिफोर्निया की सर्दी