Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

प्रवासी साहित्य : गुदड़ी का लाल...

हमें फॉलो करें प्रवासी साहित्य : गुदड़ी का लाल...
webdunia

लावण्या शाह

मैं अधजागा, अधसोया क्यों हूं?
मैं अब भी भूखा-प्यासा क्यों हूं?
 
क्या भारत मेरा देश नहीं है?
क्या मैं भारत का लाल नहीं हूं?
 
क्यों तन पर चिथड़े हैं मेरे?
क्यों मन मेरा रीता उदास है?
 
क्यों ईश्वर मुझसे छिपा हुआ है?
क्यों जीवन बोझ बना हुआ है?
 
आंखें मेरी सोएं तो कैसे?
और वे रोएं भी तो कैसे?
 
क्या हासिल होगा रोने से?
दु:ख जड़ गहरे पानी पैठा है।
 
क्या मैं भारत का बाल नहीं?
क्या मैं भी तेरा लाल नहीं?
 
क्यों सौभाग्य मेरे भाल नहीं?
क्यों प्रश्नचिह्न है जीवन मेरा?
 
बड़े आदमी बनने का सपना,
खुली आंखों से देख रहा हूं।
 
माता अब मेरे अश्रु पोंछ ले, 
क्या मैं गुदड़ी का लाल नहीं?

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्यों जरूरी हो जाता है इंटरनेट पर बैन?