हे मां तेरी महिमा मैं क्या बखानू
तू तो है मां जगतदात्री
हम सब अज्ञानी बालक
तुझको मां हम शीश नवाते है
करते हैं प्रार्थना तुझसे
आशीष सदा ही देना मां हमको
क्यों ना भूले से भी करे गलती
छमा दान देना सर्वदा मां हमको
मां तुम हो जगत जननी
ज्ञान, विद्या, बुद्धि की देवी
थोड़ा ज्ञान दान मांगे मां तुमसे
दे वरदान कृतार्थ कर दो मां हमको
चलती रहे लेखनी मेरी
जब तक जीवन धारा मेरी बहती
दूं प्रकाश इंसा के अंधेरे जीवन को
आपसे उज्ज्वलता के प्रकाश को पाकर मैं
अधिक ना सही कुछ लोगों के जीवन का
आधार बन पाऊं मै
करूं वंदना तेरी हरदम शीश झुकाऊं मैं।
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