कभी आगे देखता हूँ कभी पीछे आगे- भविष्य की ओर पीछे- अतीत की ओर क्या बात है भविष्य की वीथि सूनी-सी क्यों है कोई दीप नहीं जल रहा क्यों खाली-सी पड़ी है सुना था भविष्य तो उज्ज्वल होता है सपनों भरा 'करेंगे', 'मिलेंगे', 'जाएँगे' की भाषा में बात करता फिर मुड़ कर पीछे देखा अतीत की ओर।
इतनी भीड़! इंसान, शहर, कमरे पुस्तकें, कागज, मेजें, सेमिनार, प्रकाशन, योजनाएँ प्रशंसा के शब्द बढ़ता अहंकार पद की सत्ता का अहसास माता-पिता, भाई-बहन परिवार के सदस्य पत्नी, बेटियाँ-दामाद उनके बच्चे आरामदेह सुविधापूर्ण एक सुंदर-सा मकान सब कुछ साफ जगमग-जगमग अब समझा मेरे पास सिर्फ अतीत है भविष्य तो अगली पीढ़ी का है याद आ गई मुझे अपनी उम्र और मैं दुविधा से मुक्त हो गया।