भारतीय दलित साहित्य अकादमी से सम्मानित परिचय दास देवलास जिला आजमगढ़ में जन्मे। हिंदी में एम.ए. और गोरखपुर विवि से पी.एच.डी. की। नेपाल की थारू जनजाति के बीच सक्रिय रहे और उन पर 'थारू जनजाति की सांस्कृतिक परंपरा' नामक पुस्तक लिखी। लताओं से उठने वाली गंध का करता हूँ आस्वादन कभी-कभी तीखी बयार यहाँ से गुजरती हैआलोचकों द्वारा कविता की समीक्षा किए जाने जैसी
सूखी पत्तियों पर ढलता सूर्य-बिंब
जैसे कि शब्द अपने कहे जाने के बाद
बन गए हों प्रतिध्वनि
किसी अमृतधारा के सात्विक मंत्र-पाठ की तरह
दृश्य से कल्पना
भाव से दृश्य
एक विरल फैंटेसी घ्राणेन्द्रिय के आसपास
माटी की गंध में ओत-प्रोत नदी में
वनस्पतियों की गंध समाहित!
साभार- गर्भनाल