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आटो द' सोला आटो द' सोला : वियेर्न का संपादक, समकालीन कवियों में प्रमुखतम।
तुम दु:खी क्यों हो
याद रखो कि हम लोगों ने
एक अंतहीन कहानी लिखी है
जिसके एक छोर पर छोटी-सी चींटी है
दूसरे छोर पर दूर, सुदूरतम नक्षत्र
चट्टान और हरे-भरे कुंज
खंडहर और बच्चों के पालने
सभी उस कहानी के अंग हैं
हम लोगों ने ऊसर बंजर ज़मीर को
इतना सुख दिया है
कि वह अपने अंदर छिपे नक्षत्रों और फूलों को
पहचान गई है!
संगीत, चुंबन और तितलियों से बुनी हुई
हमारी कहानी सृष्टि की आदिम कहानी है
प्रतिध्वनियों, छायाओं और कोहरे के
छलना-महलों की तरह
हमारी कथा रहस्यमयी है
युगों से परे है।
धरती में दबी ढँकी जलधाराओं के ढंग
की कहानी
वेदनामय जरूर होती
हमारी आँखें नहरें जरूर बन गई होतीं
पर हमारी कहानी तो धरती से सितारों
की ओर उठने वाली कहानी है
और सितारों की ऊँचाइयों खंडहर
और चीड़ के कुंज कितने छोटे लगते हैं!
हमारी कहानी पर वे सभी देवदूत घिर आएँगे
जो अभी पैदा ही नहीं हुए
वे फूल और जो रात के अंधेरे में खिल कर
अनजाने ही मुरझा जाते है
नववधू के फूल मुकूट से झरने वाले नींबू के फूल
इस कथा से महक उठे हैं !
तुम सुन रही हो न? समझ रही हो न?
आदम गा रहा है
इबा विश्वासें भर रही है
हवाएँ करवटे बदल रही है!
साभार- गर्भनाल
अनुवाद : डॉ. धर्मवीर भारती