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हरिबाबू बिंदल आम बातों में व्यंग्य खोज लेने वाले सहज व्यंग्यकार के तौर पर पहचाने जाते हैं। विश्वविवेक व विश्वा जैसी अमेरिकी पत्रिकाअओं में निरंतर तथा कादम्बिनी व भाषा भारतीय पत्रिकाओं में कविताएँ और कहानियों का प्रकाशन। अंतराराष्ट्रीय हिंदी समिति द्वारा पहली अमुक्तक नामक हास्य-व्यंग्य किताब प्रकाशित। इन दिनों अमेरिकी सुरक्षा विभाग वाशिंगटन डीसी में वरिष्ठ इंजीनियर।
पोलिटिक्स में आ रहे कुछ ऐसे चेंज
डिसक्रिमिनेशन की अब बदल जाएगी रेंज।
बदल जाएगी रेंज, रंग यों बदल रहे हैं।
आजादी के पंख, नए जो निकल रहे हैं।
एक रंग क्यों रहे, अब कोई तख्तोताउस,
करना होगा पेंट, अब अपना व्हाइटहाउस।
रेस भेस औ देश का, मिश्रण जिसमें होय,
पोलिटिक्स के केस में, पाए सक्सेस सोय।
पाए सक्सेस सोय, राज की नीति यही है,
बदले अपना धर्म, नई अब रीति यही है।
डॉन जौन जिम जैरी, ठीक नहीं परिणाम,
कम से कम छै अक्षर, होना चाहिए नाम।