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संसार क्षेत्र की यात्रा करनेचली आत्मारूप अनेक धार।पथ में जिसके कांटे अधिक हैंफूल हैं केवल चार।कुछ रूप हैं उसके बलवानदुर्बल को नित मिली असफलताबलवान को पहचान।सभी रूपों में बढ़कर हैमानव रूप महान।मानव है सर्वश्रेष्ठ रचनाउस ईश कीरखें यह सदा ध्यान।शरीररूपी विश्राम स्थलों परडेरा अपना डालनव प्रभात हो चला जाएगाआत्मा यात्री महान।