जीवन के मार्मिक दौर में बहुत पाया और बहुत कुछ खोया क्या पाया? और क्या खोया? मूल्यांकन करना होगा उत्थान और स्वाभिमान के लिए सुबह का भूला यदि शाम को घर लौट जाए तो भूला नहीं कहलाता यदि खबर गलत छप जाती अखबार में तो लिखा पाते हैं भूल सुधार के लिए!!
गरिमा, वैभव, किंतु-परंतु नियम हैं। शिष्टाचार के लिए व्यर्थ है वो अर्थ जो संग्रहीत हो असमर्थन और दुष्प्रचार के लिए जनहित और देशहित हैं निज हित और स्वार्थ के लिए नियमबद्ध और अकारथ विचार हैं प्रदर्शन मात्र के लिए
सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है ऐसा भास होता है मन बेचैन और दिल परेशां ऐसा एहसास होता है जब भी ये मन उदास होता है आईना आसपास होता है कारी रात के बाद सुनहरी भोर होगी। ऐसा आभास होता है पच्चीस बीते और पच्चीस और बिताने हैं पचास होने के लिए मिनिट, घंटे, दिन, महीने, साल बीतेंगे उम्र गुजारने के लिए जुड़े वास्तविकता और समय सूचकता से न केवल इतिहास के लिए क्यों न, पल दो पल मन की बात कर लें स्मृति और अटहास के लिए?