हर कामयाबी अपने मायने खो देती है जब जेहन में तुम्हारा नाम आता है!
हर रास्ता अपनी मंजिल छोड़ देता है जब दूर क्षितिज पर तुम खड़े मिलते हो!
हर फूल अपनी रंगत पर इठलाना भूल उठता है जब तुम्हारे चेहरे का नूर सूरज चमका देता है।
ऐसा नहीं कामयाबी की मुझे चाह नहीं या मंजिलों की तलाश नहीं फूलों से भी कोई बैर नहीं मेरा मैंने तो बस अपना हर कतरा तुम्हारे 'होने' पर वार दिया है तुम नहीं तो कुछ भी और नहीं