Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

पत्नी से प्रॉब्लम

Advertiesment
हमें फॉलो करें पत्नी से प्रॉब्लम
हरि बिंदल - आम बातों में व्यंग्य खोज लेने वाले सहज व्यंग्यकार के तौर पर पहचाने जाते हैं। विश्वविवेक व विश्वा जैसी अमेरिकी पत्रिकाओं तथा कादम्बिनी में कविताएँ एवं कहानियाँ प्रकाशित। इन दिनों अमेरिकी सुरक्षा विभाग वॉशिंगटन डीसी में वरिष्‍ठ इंजीनियर के पद पर कार्यरत।

पत्नी से प्रॉब्लम, पहली बार तब हुआ
मक्खन की जगह मार्जरिन घर में जब हुआ
दाल व सब्जी में घी नहीं, रोटी रुखी, पराठे सूखे,
खिचड़ी में स्वाद नहीं, बिन घी, मसाले तीखे,
मिठाई पर रोक हुई, न लड्डू न पेड़
जो खाओ उसी पर, खड़ा हुआ बखेड़
दूध जब दो परसेंट आने लगा,
तब अपना भेजा भर्राने लगा...

पत्नी ने समझाय
भारत में असली घी मुश्किल से पाते थ
दूध वाला, दूध में पानी न मिला दे अत
सुबह तड़के भैंस के आगे खड़े हो जाते थे
यहाँ सही दूध मिलता है,
पतले पर क्यों जाते है
शुद्ध मक्खन मिलता है,
नकली क्यों लाते हैं?

वे बोलीं, देखते नही
मदन मुरारी ने मार्जरिन खाना शुरू कर दिया ह
रुक्मनी ने असली कोक, कब से नहीं पिया ह
लोग चीनी के बजाय, स्वीटनर लाते है
आप हैं कि दो परसेन्ट पर बड़बड़ाते हैं...

फिर हमने समझाने की कोशिश क
अपनी दलील कुछ इस तरह पेश क
अमेरिका में लोग, बड़े बिजनेस वाले है
दूध में से पहले, कई तत्व निकाले है
मक्खन और क्रीम अलग से बेचते है
बचे हुए को दो परसेन्ट कह टेकते है
आम के आम, गुठलियों के दाम है
लोगों को बेवकूफ बनाने के काम है
मार्जरिन तो घासलेट से भी गया बीता ह
भारत का गरीब, खाकर जिसे जीता है...

वह नहीं मान
कहने लगी, इन सब में कोलस्ट्रोल ह
हमने कहा, स्वाद का भी तो रोल ह
बाप दादों ने तो खूब घी पिय
और जीवन बड़े मजे से जिया...

हम बड़बड़ाते रह
न शराब पीते हैं न सिगरे
पान व तम्बाखू से कतराते हैं ह
टले - देके एक ही शौक ह
उस पर भी आपका प्रकोप है...

यदि खाने में इतनी और ऐसी व्याधा ह
तो प्राणी के मानव होने का क्या फायदा ह
घास ही खा लेत
पति बनकर, पापड़ तो न बेलते...
हम डट गए, और ये कविता लिख डाल
किन्तु लगता है वह नहीं मानने वाली...

साभार- गर्भनाल

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi