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हुआ आगमन ऋतु बसंत का, खुशी हर तरफ छाई है
पुलकित हैं सारे पशु-पक्षी गौरेया हर्षाई है
कोयल ने भी मधुर स्वरों में फिर से सरगम गाई है
गुन-गुन गुंजन की स्वर लहरी भंवरों ने दोहराई है
नव पल्लव वृक्षों पर आए पुष्पों पर नूतन तरुणाई
शीतल सुरभित मंद पवन भी मंद-मंद मुस्काई है
कल-कल करती नदियां बहतीं झर-झर करते झरने
जल तरंग के नए सुरों की एक लहर लहराई है
है बसंत ऋतुओं की रानी अद्भुत इसकी सुंदरताई
प्रकृति ने मानो नई वधू सी अनुपम छवि बनाई है
धरती करती श्रृंगार अनूठा अंग-अंग से फूटे यौवन
प्रेमी युगलों की खातिर ये ऋतु प्रेम की आई है
हुआ आगमन ऋतु बसंत का, खुशी हर तरफ छाई है
बरसाओ प्रेम सुधा जीवन में यही संदेशा लाई है।