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अजंता शर्मा
वो देखो दिल मेरा सोया है किस आराम से
वो तेरी शक्ल में लिपट के तेरे नाम से
वला का हुस्न है जो करवटों में है लिटा
मिले है उसकी अदा यूँ फलक के चाँद से
उठा के हाथ यूँ लेता है जब वो अंगड़ाई
लहर धकेले समंदर नशे में जाम के
खड़ी हूँ एक प्रहर से ऊँगलियों को थामे हुए
करूँ के ना करूँ मैं गुदगुदी उस पाँव में
है उम्र भर का ये नजारा कैसे दे दूँ मैं
'सुबह' चली जा निपट ले किसी और काम से...।
साभार- गर्भनाल