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मौन हूँ खड़ा हूँ

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- रवीश रंजन

1 मई 1986 को जलालदी टोला, गोपालगंज, बिहार में जन्म। इन दिनों चीन में एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई कर रहे हैं। हिंदी साहित्य में गहरी रुचि रखते हैं

GN
मैं मझधार की भँवर में
काँटों भरी डगर में
जिंदगी की उतार-चढ़ाव में
लहरों की बहाव में
किस तरह अड़ा हूँ
मौन हूँ, जड़ा हूँ मैं

तेरे एक पल के प्यार ने
मुझे क्या से क्या बना दिया
मैं धरा की धूल था
तूने फलक पे बिठा दिया
उस एक पल की याद में
तुम्हारे ही ख्वाब में
गिर कर भी पड़ा हूँ
मौन हूँ, जड़ा हूँ मैं

शायद तुम्हें भी याद हो
हमने किया था ये वादा
जब भी कोई आवाज दे
हम दौड़ आएँगे सदा
उसी शदा के इंतजार में
तुम्हारे राह-गुजार में
आज भी खड़ा हूँ
मौन हूँ, जड़ा हूँ मैं।

साभार - गर्भनाल

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