Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

विनाशलीला

Advertiesment
हमें फॉलो करें विनाशलीला
रेखा मैत्
NDND
आज तक तो मैं
आपसी मेलजोल के
प्यार के, ईर्ष्या के
और कभी-कभी
नफरत के भी
रिश्तों की
ज्यामिती में फँसी रही

अपने इर्द-गिर्द बुने इस
मकड़ी के जाले को तोड़कर
दूर दराज तक नजर दौड़ाई
तो देखा -
अफ्रीका की अलगनी पर
मैले कपड़े टँगे थे
लाखों नन्हे-नन्हे बच्चे
हैजे के शिकार हो रहे थे
लाशों से धरती अटी थी

मेरी कोख उजड़ती जा रही थी
अपने ही बच्चों की मौत का
तांडव 'काली' बनी देखती रही
और किसी 'शिव' को तलाशती रही
जिस पर मैं खड़ी हो सकूँ
और विनाश लीला का
समापन कर सकूँ'

साभार- गर्भनाल

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi