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जॉर्ज करेरा आन्द्रादे
शांत और खामोश प्यारे भाई खरगोश!
तुम मेरे गुरु हो, दार्शनिक हो
तुम्हारी जिंदगी से मैंने
शांत जिंदगी बिताना सीखा है
क्योंकि तुम एकांत समाधि में ही
जीवन की तत्व खोजते हो
संसार की गति तुम्हें नहीं व्यापती!
तुम ज्ञान के खोजी हो
जैसे कोई पूरी किताब के पन्ने चाट जाए।
उसी तरह तुम बंदगोभी के सभी पत्ते चाट जाते हो
और संत साइमन की तरह अपने बिल में बैठे-बैठे
चिडि़यों को देखा करते हो!
अपने इष्ट देवता से कहो कि
स्वर्ग में तुम्हें एक बाग बनवा दे
जिस बाग में स्वर्गीय करमकल्ले लगे हों
नाक डुबाने के लिए एक स्वच्छ पानी का सोता हो
और तुम्हारे सिर पर फ़ाख्ते उड़ा करें !
तुम्हारे चारों ओर के वातावरण में
पवित्रता छाई रहती है
परम पिता संत फ्रांसिस का आशीर्वाद
तुम्हारे स्वर्ग में छोटे-छोटे बच्चे
तुम्हारे लंबे-लंबे कानों से खेलेंगे।
अनुवाद- डॉ. धर्मवीर भारती
साभार- गर्भनाल