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ओबामा कार्यकाल में लोगों ने धर्म छोड़ा

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वाशिंगटन। राष्ट्रपति ओबामा की अमेरिका को देन नाम के एक अध्ययन में प्यू रिसर्च सेंटर ने कहा कि ओबामा के आठ वर्षीय कार्यकाल में व्हाइट हाउस में धार्मिक लगावों और क्रियाकलाप की घटनाओं में तेजी से कमी आई। प्यू की रिपोर्ट में कहा गया कि ओबामा के राष्ट्रपति पद पर रहते हुए देश की धार्मिक पहचान को काफी धक्का लगा और उनके कार्यकाल में ऐसे लोगों की संख्या बहुत बढ़ी जिनका कहना था कि उनका कोई धर्म नहीं है या वे किसी भी धर्म का पालन नहीं करते हैं। 


 
प्यू ने इस सप्ताह से इस शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें कहा गया है कि 'ओबामा के कार्यकाल के दौरान अमेरिका में क्या बदलाव हुआ?' थामस डी. विलियम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब ओबामा ने कार्यभार संभाला तब ऐसे लोगों की संख्या अमेरिका की वयस्क आबादी का 16 फीसदी था जोकि कहते हैं कि ' वे या तो ना‍‍स्त‍िक हैं या उनका कोई धर्म विशेष नहीं है।' लेकिन ओबामा के कार्यकाल की समाप्ति के बाद ऐसे लोगों की संख्या 25 प्रतिशत तक हो गई है।
 
पर संस्थान की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ईश्वर में विश्वास करने वाले अमेरिकियों की संख्या बहुत कम हो गई है। ऐसे लोगों का कहना है कि धर्म उनके जीवन में अहम है, वे प्रतिदिन प्रार्थना करते हैं और महीने में धार्मिक समागमों में भाग लेते हैं।

अमेरिका का जो सबसे बड़ा धार्मिक वर्ग जो स्वयं को ईसाई कहता है, आठ वर्षों के बाद 78 फीसदी के स्थान से 71 फीसदी पर आ गया है। पर सबसे ज्यादा कमी जनसंख्या के उस भाग में आई जोकि अपने आप को मेनलाइन प्रोटेस्टिंज्म और कैथोलिक कहते हैं। लेकिन इन दौरान इवेंजलिकल प्रोटेंस्टिज्म और ऐतिहासिक रूप से अश्वेत ईसाइयों की संख्या जस की तस बनी रही। ओबामा के कार्यकाल में धार्मिक अनुदारवाद को हतोत्साहित करने के प्रयास किए गए जिससे कि धार्मिक स्वतंत्रता में कमी आई प्रतीत हुई। 
 
 

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