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कैनबरा में 'ऑस्ट्रेलिया में हिन्दी' राष्ट्रीय वर्कशॉप

हमें फॉलो करें कैनबरा में 'ऑस्ट्रेलिया में हिन्दी' राष्ट्रीय वर्कशॉप

रेखा राजवंशी

, रविवार, 19 जुलाई 2015 (16:02 IST)
सिडनी (ऑस्ट्रेलिया)। 17 जुलाई को ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता पीटर फ्रीडलैंडर ने हिन्दी के विविध आयामों पर राष्ट्रीय स्तर की वर्कशॉप का आयोजन किया जिसमें देश के मुख्य शहरों से आए हिन्दी के प्रमुख विद्वानों ने भाग लिया।

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय व ऑस्ट्रेलियन लोगों में हिन्दी के प्रति रुझान बढ़ा है। अब विशेषकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऑस्ट्रेलिया में हिन्दी में भाषण देने के बाद न सिर्फ भारतीय तथा ऑस्ट्रेलिया की सरकारों के बीच अच्छे संबंध स्थापित हुए हैं बल्कि हिन्दी की प्रतिष्ठा व महत्व भी विदेशों में बढ़ा ही है। वर्कशॉप में सिडनी, मेलबोर्न और कैनबरा के हिन्दी शिक्षकों और विद्वानों ने भाग लिया।

2 वर्ष पूर्व जब ऑस्ट्रेलियन राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में हिन्दी को शामिल नहीं किया गया था, तब भारतीय समुदाय के अनेक लोगों व संस्थाओं ने हिन्दी शुरू करने के लिए ऑस्ट्रेलियन पाठ्यक्रम अथॉरिटी को पत्र लिखे थे। हजारों की संख्या में लोगों के हस्ताक्षर एकत्रित किए गए थे जिसके परिणामस्वरूप हिन्दी को भाषा विकास के द्वितीय चरण में सम्मिलित कर लिया गया।

पिछले वर्ष किंडरगार्टन से कक्षा 10 तक के पाठ्यक्रम का विकास शुरू हुआ और अब ड्राफ्ट तैयार करके समुदाय के लोगों का फीडबैक लेने के लिए प्रकाशित किया गया जिससे ‍‍कि इसमें सुधार करके इसे प्रकाशित किया जा सके व अगले साल से लागू किया जा सके।

वर्कशॉप के प्रारंभिक हिस्से में हिन्दी शिक्षण व ऑस्ट्रेलियन नेशनल पाठ्यक्रम अथॉरिटी की अधिकारी सुजैन ब्रेडशॉ ने हिन्दी पाठ्यक्रम विकास की विभिन्न अवस्थाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हिन्दी पाठ्यक्रम को संशोधन के बाद अक्टूबर तक प्रकाशित किया जाएगा और अगले साल से विद्यालयों की मुख्य शाखा में पढ़ाया जा सकेगा, परंतु ये विद्यालयों पर निर्भर है कि वे हिन्दी भाषा का शिक्षण अपने विद्यालय में सम्मिलित करें या नहीं।

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अब तक ऑस्ट्रेलिया के 2 प्राथमिक विद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है। विक्टोरिया में मेलबोर्न के एक विद्यालय 'रेंजबैंक प्राथमिक स्कूल' ने पिछले साल से हिन्दी का शिक्षण आरंभ किया है। वहां के प्रधानाचार्य कोलिन अवेरी ने अपने विद्यालय में हिन्दी की प्रगति और शिक्षण पर अपने विचार व्यक्त किए।

न्यू साउथ वेल्स के 'वेस्ट राइड पब्लिक स्कूल' में पिछले 19 साल से अर्चना चौधरी हिन्दी पढ़ा रही हैं। उन्होंने हिन्दी शिक्षण के बारे में कुछ चर्चा की। पिछले 27 वर्षों से रविवार को हिन्दी का सामुदायिक विद्यालय चलाने वाली माला मेहता ने बताया कि वे किस तरह हिन्दी शिक्षण को मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

विक्टोरिया में कई वर्षों से हिन्दी के प्रति समर्पित डॉ. दिनेश श्रीवास्तव ने विक्टोरिया में हिन्दी के इतिहास के बारे में रुचिकर बातें बताईं। उन्होंने बताया कि कैसे 90 के दशक में उन्होंने हिन्दी को हाईस्कूल (11वीं, 12वीं) कक्षाओं में शामिल कराने और हिन्दी अनुवाद को मान्यता दिलाने के प्रयास किए।

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विक्टोरियन स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज के प्रधानाचार्य फ्रैंक मर्लिनो ने इस पर और प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे उन्होंने हिन्दी भाषा शिक्षण के लिए योगदान दिया और दूरगामी क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए डिस्टेंस एजुकेशन द्वारा हिन्दी पढ़ाने के प्रोजेक्ट की भी चर्चा की।

कैनबरा में हिन्दी स्कूल के संस्थापक संतोष गुप्ता ने अपने विद्यालय के हिन्दी शिक्षण के बारे में बताया और नरबंडाह कॉलेज की शिक्षिका हरप्रीत कौर ने हिन्दी शिक्षण में आने वाली मुश्किलों की बात की और विशेषकर अच्छी शिक्षण सामग्री की आवश्यकता पर जोर दिया।

भोजन के बाद के सत्रों में ला ट्रोब विश्वविद्यालय के लेक्चरर डॉ. इयान वुल्फोर्ड ने प्रभावशाली ढंग से अनेक उदाहरण देते हुए बताया कि ऑस्ट्रेलिया में हिन्दी शिक्षण कैसा हो व वे इसमें क्या सम्मिलित करते हैं। एसबीएस हिन्दी रेडियो की एक्जीक्यूटिव प्रोडयूसर कुमुद मिरानी ने मीडिया में हिन्दी के बदलते स्वरूप व हिन्दी में अन्य भाषाओं के शब्दों के मिश्रण पर बात की।

सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम की हिन्दी शिक्षिका, लेखिका और कवयित्री रेखा राजवंशी ने ऑस्ट्रेलिया में हिन्दी साहित्य पर बात करते हुए ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न शहरों में होने वाली साहित्यिक गतिविधियों के इतिहास और प्रकाशित/ प्रकाशन हेतु तैयार पुस्तकों, समाचार पत्रों पर चर्चा की।

कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम आयोजक पीटर फ्रीडलैंडर ने कहा कि ये महत्वपूर्ण हैं- पहली तो ये कि एक केंद्रीय स्तर पर एक वेबसाइट बनाई जाए जहां ऑस्ट्रेलियाभर की हिन्दी गतिविधियों की जानकारी उपलब्ध हो, दूसरी ये कि अच्छी शिक्षण सामग्री का आदान-प्रदान किया जाए, तीसरी ये कि हर वर्ष इस तरह की राष्ट्रीय स्तर की वर्कशॉप तथा कांफ्रेंस आयोजित की जाए।

भारतीय दूतावास से आए तरुण कुमार, जो भारतीय हाईकमिश्नर नवदीप सूरी के प्रतिनिधि थे, ने कहा कि भारतीय दूतावास पीटर फ्रीडलैंडर के इस प्रयास की सराहना करता है और हर तरह का सहयोग देने के लिए तैयार है। इसमें संदेह नहीं कि ये वर्कशॉप बहुत सफल रही, इस वर्कशॉप ने न सिर्फ हिन्दी के लोगों को जोड़ा बल्कि ऑस्ट्रेलिया में हिन्दी विषयक नई संभावनाएं को भी दर्शाया।

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