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ट्रम्प की नीतियों से भारतीय अमेरिकी किसान परेशान

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यूबा सिटी, कैलिफोर्निया। इस क्षेत्र के यूबा-सटर काउंटी क्षेत्र में भारतीय अमेरिकी किसान श्रमिकों की भारी कमी झेल रहे हैं। खेतिहर मजदूरों की भारी कमी इस वर्ष की बुआई और फसल को एकत्र करने में गंभीर बाधा है। दूसरे देशों के बाहरी श्रमिकों की अमेरिका में आपूर्ति बहुत कम हो गई है। प्रवासी  नीतियों का सबसे ज्यादा कड़ाई से अमल किया जा रहा है। 
 
कैलिफोर्निया के पीच किंग करम बैंस का कहना है कि मजदूरों की भारी कमी है और इसे लेकर हम  बहुत अधिक चिंतित हैं। जबकि हमारे सारे कामों में श्रमिकों की मदद की सबसे ज्यादा दरकार होती है। विदित हो कि करम बैंस के पिताजी दीदारसिंह बैंस को कैलिफोर्निया में 'कैलिफोर्निया के पीच किंग' कहलाते हैं। उनका कहना है कि अगर मेरे दरवाजे पर एक सौ लोग भी आ जाएं तो मैं उन्हें समूचे  सीजन का काम दे सकता हूं।'
 
उनका कहना है कि लेकिन श्रमिक आपूर्ति की दरार को भरने को लेकर एक सौ लोग भी आएं तो मैं उन्हें समूचे सीजन का काम देने को तैयार हूं। उनका कहना है कि हमारा सारा काम श्रमिकों पर निर्भर है और अमेरिकी श्रमिक इस काम को करने की रुचि नहीं रखते हैं। उनका कहना है कि फलों को चुनते समय वे सारा दिन तेज गर्मी में खड़े रहना पसंद नहीं करते हैं। हालांकि उनका वेतन पहले से ही अधिक है और वे मोटे तौर 17 डॉलर से लेकर 25 डॉलर तक प्रतिघंटा लेते हैं। अमेरिकी श्रमिकों की कमी बनी रहती है।
 
खाद्यान्न उत्पादन में कैलि‍फोर्निया देश में सबसे आगे हैं और यह 50 बिलियन डॉलर के कृषि उत्पाद पैदा किए जाते हैं। यहां रहने वाले ज्यादातर श्रमिक पंजाब के हैं और उनके पास करीब 50 हजार एकड़ जमीन है।
 
पहले बैंस के पास ऐसे श्रमिक थे जो कि प्रतिवर्ष उनके खेतों में काम करने आते थे और उनके पास दक्षता प्रमाण पत्र भी होता था कि वे अपने काम में माहिर लोग हैं। इस वर्ष भी बहुत थोड़े से श्रमिकों ने अपने जोखिम पर यहां पहुंचे हैं, लेकिन अगर वीजा नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है तो वे अपने देश वापस नहीं लौट पाएंगे और उन्हें सजा भुगतना पड़ सकता हैं। नए वीजा कानूनों के तहत इस बार केवल तीन सौ लोग ही काम करने आए हैं, जबकि पहले यह संख्या 1500 तक होती थी। 

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