लंदन। भारतीय मूल के नवीनतम ब्रिटिश सांसद जितेश गढिया ने हाउस ऑफ लॉर्ड्स की सदस्यता ग्रहण करते समय ॠग्वेद पर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के प्रति अपनी निष्ठा की शपथ ली। गढिया करीब 1,200 ईसा पूर्व पुराने वैदिक संस्कृत मंत्रों के प्राचीन संग्रह ॠग्वेद की अपनी खुद की प्रति लेकर आए थे। उन्होंने बाद में उसे ब्रिटिश संसद को भेंट कर दिया।
गुजराती मूल के 49 साल के इन्वेस्टमेंट बैंकर ने मंगलवार को सदस्यता ग्रहण की। मंगलवार को ही कैमरन ने संसद सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा की। कैमरन ने कुछ लोगों को सदस्यता दिलाने की एक सम्मान सूची तैयार की थी जिसके तहत गढिया को हाउस ऑफ लॉर्ड्स की सदस्यता दी गई।
गढिया शपथ ग्रहण समारोह में अपनी 90 साल की दादी गुलाबबेन गढिया, मां हंसाबेन और पत्नी अंजलि के साथ आए थे।
उन्होंने कैमरन के लिए कहा कि इतिहास उन्हें एक बेहतरीन सुधारवादी प्रधानमंत्री के तौर पर आंकेगा, जो देश को वित्तीय संकट के मुहाने से खींचकर लाए। मैं ब्रिटिश इतिहास के एक निर्णायक क्षण में संसद का हिस्सा बन रहा हूं, जब हम ब्रेक्जिट के बाद नई वास्तविकताओं का सामना कर रहे हैं।
गढिया ने कहा कि मेरे साथ इस समारोह में मेरे परिवार की कई पीढ़ियों का मौजूद होना बेहद महत्वपूर्ण है। मैं ॠग्वेद के मूल संस्कृत शब्दों वाली प्रति चाहता था, लेकिन मेरा शोध मुझे इस संस्करण पर ले आया। गढिया ने ॠग्वेद की जो प्रति इस्तेमाल की उसका प्रसिद्ध जर्मन शिक्षाविद मैक्स मूलर ने संपादन और पारंपरिक देवनागरी लिपि में प्रकाशन किया था। (भाषा)