भले ही भारत में महिला पुरोहित बनने के लिए नाको चने चबाने पड़े लेकिन अपने देश से हजारों किलोमीटर दूर एक भारतीय महिला इतिहास रचते हुए औपचारिक रूप से पुरोहित बन गई है। डरबन के पादरी और दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री ने भी पिल्लई की प्रशंसा की है।
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल की महिला केरोलिन पिल्लई ने वहाँ की सेना में पुरोहित का पद ग्रहण किया है। पिल्लई उन 275 सेनाकर्मियों में शामिल हैं जिन्हें इसी सप्ताह के गहन प्रशिक्षण शिविर में शामिल किया गया है। पिल्लई सेना में दो साल से कार्यरत हैं। हालाँकि पिल्लई सेनाकर्मियों से उम्र में दोगुनी हैं लेकिन उनका जोश और जज़्बा किसी सैनिक से कम नहीं है।
39 वर्षीय पिल्लई कहती हैं, 'सेना के जवानों को प्रशिक्षण के समय मेरी सलाह और मार्गदर्शन की जरूरत होगी जबकि मुझे उनसे शारीरिक सहायता की जरूरत होगी।' सेना के आध्यात्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिए केरोलिन को पाँच दक्षिण अफ्रीका इंफ्रेट्री बटालियन में नियुक्त किया गया है। पिल्लई तकनीकी शिक्षा में स्नातकोत्तर हैं।