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पश्‍चिमी देशों में धर्म की धूम

- सुनंदा राव

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संकट के समय लोगों को भगवान ही याद आते हैं। विदेश में रह रहे भारतीय मूल के नागरिक भी इससे अछूते नहीं हैं। आर्थिक संकट से भारतीय प्रवासी भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। ऐसे में उन्हें भगवान की याद आना स्वाभाविक है। उनके बीच धर्म-कर्म के प्रति आस्था बढ़ी है।

पश्चिमी देशों में आर्थिक मंदी के दौर में नौकरियाँ बचाने के लिए लोग जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। जिनका भाग्य अच्छा है, वे अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए भगवान का धन्यवाद कर रहे हैं और जिनकी किस्मत अच्छी नहीं, वे भगवान के दर पर आकर आशा की किरण देखते हैं। कहा जाता है कि जब हर ओर अँधेरा ही अँधेरा हो तो भगवान ही याद आते हैं।

एक अध्ययन के मुताबिक अमेरिका में आर्थिक संकट शुरू होने के बाद गिरजाघरों में श्रद्धालुओं की संख्या अचानक बढ़ गई है। कई मिशनरी केंद्रों के सामने दो वक्त की रोटी और सिर पर छत की माँग करने वालों की कतार लंबी होती जा रही है। इसके साथ ही शेयर बाजार और पूँजीवाद की ठोकरों से बेचैन और दुखी लोगों को मानसिक सहारा देने वालों की भी कमी अब खलने लगी है।

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अमेरिका या ब्रिटेन में भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर इस मंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। ऐसे में वे भी भगवान का सहारा लेने पर मजबूर हो गए हैं। अमेरिका में ओहायो प्रांत के शिव मंदिर के पंडित अशोक भार्गव बताते हैं कि पिछले एक साल में श्रद्धालुओं की संख्या दोगुनी हो गई है। यही नहीं, कई अमेरिकी ईसाई भी हिन्दू धर्म की ओर आकर्षित हो रहे हैं, खासकर पिछले एक साल से।

पंडित अशोक भार्गव कहते हैं कि उनके छोटे से शहर में पिछले छः महीनों में पाँच अमेरिकी परिवारों ने सनातन धर्म अपनाया है और यह रुझान तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में हिन्दू धर्म का प्रभाव उन परिवारों में भी देखने को मिल रहा है जिनमें पति-पत्नी अलग-अलग धर्म को मानने वाले हैं। वे बताते हैं कि ऐसे कई परिवार हैं जहाँ पति-पत्नी में से एक हिन्दू है, इन परिवारों में सभी पर्व और पूजा-पाठ के रीति-रिवाज अपनाए जाते हैं।

उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार एक पाश्चात्य संगीत के स्कूल के उद्‍घाटन के अवसर पर उन्हें सत्यनारायण की कथा के लिए बुलाया गया। स्कूल का मालिक भारतीय मूल का था और उसकी पत्नी हंगरी की थी। हंगरी की वेरा होल्सर बताती हैं कि हालाँकि उसके माता-पिता यहूदी और ईसाई हैं पर उसे हिन्दू धर्म की विविधता बहुत आकर्षित करती है। वेरा अक्सर अपने पति के साथ मंदिर जाती हैं और इस बीच वह हिन्दू धर्म के मूल सिद्धांतों और अन्य धर्मों की तुलना करती हैं और अन्य लोगों के साथ वह इस विषय पर विचार-विमर्श करती हैं।

आज पूरी दुनिया में हिन्दू धर्म मानने वाले 90 करोड़ से ज्यादा लोग हैं जिनका 80 प्रतिशत हिस्सा भारत में रहता है। आँकड़ों के अनुसार नेपाल और भारत में हिन्दू सबसे ज्यादा हैं। दोनों देशों में इनकी आबादी 80 फीसदी है। इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात, मॉरिशस, त्रिनिदाद, सूरीनाम या फिजी में हिन्दुओं की संख्या प्रतिशत के हिसाब से ज्यादा है। मिसाल के तौर पर मॉरिशस के 48 प्रतिशत लोग हिन्दू धर्म का पालन करते हैं। जिन देशों में हिन्दुओं की संख्या ज्यादा है, वहाँ कई मंदिर दिखाई देते हैं।

मलेशिया, इंडोनेशिया या दक्षिण अफ्रीका में दक्षिण भारतीय मूल के हिन्दुओं के अलग मंदिर होते हैं और उत्तर भारतीय मूल के लोगों के अलग लेकिन जहाँ यह संख्या कम है, वहाँ देखा गया है कि कई भगवानों और संतों की मूर्तियों को एक ही मंदिर में स्थापित किया जाता है। मिसाल के तौर पर अरब देशों या फिर पश्चिमी योरपीय देशों में, जैसे फ्रांस, जर्मनी या फिर पूर्वी योरपीय देश। वहाँ अक्सर मंदिर में भगवानों की मूर्तियों के साथ-साथ महावीर या फिर साईंबाबा की मूर्तियाँ और गुरुग्रंथ साहिब सब एक ही हॉल में देखने को मिलते हैं।

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विदेशों में मंदिरों की बात आते ही 'हरे राम हरे कृष्णा' सोसायटी द्वारा स्थापित 'इस्कॉन' मंदिर, श्री स्वामीनारायण मंदिर आदि कुछ ऐसे मंदिर हैं जो न सिर्फ भारत बल्कि विश्व के कई हिस्सों में भी श्रद्धा का केंद्र हैं। इस्कॉन मंदिर मिशीगन, डेनमार्क, इंग्लैंड, बेल्जियम, स्पेन, केन्या आदि कई देशों में फैला हुआ है। वहीं श्री स्वामीनारायण मंदिर भारत के अलावा इंग्लैंड, कनाडा, फिजी, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका आदि कई देशों में स्थापित हैं।

इसके अतिरिक्त दक्षिण अफ्रीका का श्री शिवसुब्रह्मणियम मंदिर, हिन्दू मंदिर परिषद् और ओम मंदिर, नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर, जापान का टोक्यो स्थित शिव मंदिर, सिंगापुर के प्राचीन मंदिर, वियतनाम के प्राचीन सनातन मंदिर, ऑस्ट्रेलिया का कैनबरा स्थित मुरुगन मंदिर, तिरुपथ मंदिर, डार्विन का गणेश मंदिर, स्विट्जरलैंड में जिनेवा स्थित विनायक मंदिर, अरऊ मुरुगन मंदिर, ज्यूरिख का शिव मंदिर, फ्रांस का गणपति मंदिर, कनाडा स्थित विष्णु मंदिर, मिशीगन स्थित पश्चिम काशी मंदिर, स्वीडन का गणेश मंदिर आदि कई मंदिर विश्व के विभिन्न देशों में श्रद्धा के केंद्र हैं।

पिछले 40 वर्षों से दुबई में रह रहे भारतीय मूल के उद्यमी और साहित्य प्रेमी गंगाधर जसवानी कहते हैं कि खाड़ी के देशों में दुबई में ऐसा एकमात्र मंदिर है जो संयुक्त अरब अमीरात के शाह की अनुमति से बनाया गया है। उज्जैन में जन्मे गंगाधर जसवानी बताते हैं कि इतने वर्षों में कभी उनके सामने कोई ऐसा उदाहरण नहीं आया जब किसी दो समुदाय के बीच आपस में कोई अनबन हुई हो।

सभी धर्मों के लोग आपस में भाईचारे के साथ रहते हैं। ऐसे में देखा गया है कि अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों में कट्टरपंथी झुकाव ज्यादा होता है। वर्षों से अपने समुदाय और अपनी सोच में जी रहे लोगों को लगता है कि भारत में रह रहे हिन्दुओं की अपेक्षा हिन्दू धर्म के मायने और परंपरा के बारे में उन्हें ज्यादा पता है।

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