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भारतीय वीजा दफ्तर की चाहत

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-सुनंदा राव
NDSUNDAY MAGAZINE
एक तरफ तो भारत-पाक संबंध इस समय कुछ खास नहीं चल रहा है पर दूसरी तरफ एक-दूसरे देशों की यात्रा की चाह थमती नजर नहीं आ रही है। हाल ही में कराची के महापौर सैय्यद मुस्तफा कमाल ने अर्जी दी कि उनके शहर में भी भारतीय वीजा का दफ्तर पुनः खोला जाए क्योंकि कराची शहर के रहने वालों को भारत के लिए वीजा लेने के लिए खास तौर से इस्लामाबाद जाना पड़ता है। इसमें उनका बहुत समय और अत्यधिक धन खर्च होता है।

अपनों से मिलने की चाहत में तड़पते कराची शहर के सैकड़ों लोगों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले सैय्यद मुस्तफा कमाल ने अपनी यह अर्जी भारत के राजदूत शरत सबरवाल को तब सौंपी जब वे कराची की यात्रा पर थे। शरत सबरवाल ने हाल ही में पाकिस्तान में भारतीय राजदूत का कार्यभार संभाला है।

1990 के दशक में दोनों देशों ने आपसी टकराव के बाद कराची और मुंबई में अपने वाणिज्य दूतावास बंद कर दिए थे। मुंबई हमलों के बाद से दोनों देशों के बीच चल रही वार्ताएँ भी रुक गई हैं। सिंध की राजधानी कराची में बसे कई लोगों के रिश्तेदार अब भी भारत में रहते हैं और उन्हें अपने परिवार से मिलने के लिए हर बार नए सिरे से वीजा लेना पड़ता है।

आज भी इसके पास संपत्ति कम नहीं है लेकिन संस्थापक महंथ के रिश्तेदारों से लेकर आस-पड़ोस के दबंगों और पहुँच वालों की लालची नजरें इस पर गड़ी हैं।

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