वैश्विक आर्थिक संकट से निपटने के लिए दुनियाभर की रिजर्व बैंकों ने अपने यहाँ ब्याज दरों में कटौती जैसे कई कदम जरूर उठाए हैं। लेकिन मंदी से लोग इतने भयभीत हैं कि दरों में कटौती का असर बाजार पर नहीं दिख रहा है। अब ऐसे में नए-नए विचार सामने आ रहे हैं कि या तो और नोट छापे जाएँ या फिर उनकी हेलिकॉप्टर से बारिश की जाए!
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कई व्यापारिक सर्वेक्षणों में मंदी से निपटने के लिए तरह-तरह के सुझाव लोगों से माँगे गए। लेकिन परंपरागत ब्याज दरों में कटौती जैसी बातों के अलावा अन्य सुझाव भी सामने आए। वहीं इनको ध्यान में रखते हुए बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) ने भी अपने यहाँ दो से तीन प्रतिशत तक ऋण पर ब्याज दरों में कटौती की।
इसका उद्देश्य बैंकों की पूँजी बढ़ाना और बाजार में तरलता लाना था। इन सबके बावजूद बाजार की हालत चिंताजनक बनी हुई है। सारे कदम उठाए जाने के बाद अब बैंक यह सोच रही है कि कुछ ऐसे कदम उठाने होंगे, जो असाधारण हों और किसी ने सोचा न हो।
अखबार संडे टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि ब्रिटेन में ब्याज दरों में इतनी कटौती की जा चुकी है, जितनी की वर्ष 1951 में चर्चिल के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के दौरान की गई थी।