नई दिल्ली:29 जुलाई का इतिहास भारतीय हॉकी के स्वर्णिम युग की याद दिलाता है। एक जमाने में एशिया की परंपरागत हाकी का दुनिया में डंका बजता था। भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में 1928 से 1956 के बीच छह बार लगातार स्वर्ण पदक जीता। इसे भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग कहा जाता है।
बाद में एशियाई शैली की कलात्मक और कौशलपूर्ण हाकी का सूरज डूबने लगा और एस्ट्रो टर्फ पर ताकत के दम पर खेली जाने वाली तेज तर्रार हाकी ने उसकी जगह ले ली। भारत की टीम ने 29 जुलाई 1980 को मास्को ओलंपिक खेलों में आखरी बार हॉकी का स्वर्ण पदक जीता था।1980 के बाद कहने को तो कितने ही ओलंपिक खेले गए लेकिन एक बार भी हॉकी टीम गोल्ड मेडल जीतने में सफल न हो सकी।
जब अनुभवहीन भारतीय हॉकी टीम ने दी स्पेन को खिताबी मात
उस फाइनल की बात करें तो भारत के पास एक अनुभवहीन टीम थी और सिर्फ 5 खिलाड़ी ही थे जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय टीमों के खिलाफ मैच खेले थे। जफर इकबाल, मेरविन फर्नाडिस, एम एम सोम्या, बीर बहादुर छेत्री और कप्तान वसुदेवन बासकरन पर पूरा दारोमदार था। कप्तान को लगा कि टीम में जोश जगाने की जरूरत है और इस कारण दो बार जनरल सैम मानेक शॉ से भी खिलाड़ियों की बात की गई।
फाइनल में जाने से पहले लीग मैच में भारत की टीम स्पेन से 2-2 से बारबरी कर चुकी थी। इस कारण फाइनल में वह खुद को कमतर नहीं समझ रही थी।
फाइनल सांसे थाम देने वाला मैच साबित हुआ। पहले हाफ में भारत के मिडफिल्डर सुरिंदर सिंह ने 2 गोल दागे और भारत का पलड़ा भारी कर दिया। दूसरा हाफ शुरु होते साथ ही एमके कॉशिक ने तीसरा गोल दाग दिया। ऐसा लगा कि आज भारत एकतरफा मैच स्पेन से जीतेगा।
हालांकि स्पेन के कप्तान ने जुआन अमात ने दो मिनट में 2 गोल कर भारतीय कैंप में सनसनी मचा दी। इसके बाद भारत ने अपना तुरुप का इक्का मोहम्मद शाहिद निकाला जिसने भारत के लिए आखिरी गोल किया और स्पेन के लगातार हमले के बावजूद भारतीय टीम यह मैच 4-2 से जीत गई।
आज दी अर्जेंटीना को मात
आज का दिन तो भारत का होना ही था 29 जुलाई की सुबह जब भारत रियो ओलंपिक की गोल्ड मेडलिस्ट अर्जेंटीना के खिलाफ उतरी तो यह सुनहरी याद लेकर ही मैच खेलना शुरु किया। पहला हाफ बहुत ही कांटे का रहा और लगातार मौका बनाने के बाद भी दोनों ही टीम गोल करने में नाकाम रही।
अर्जेंटीना पर आखिरकार 43वें मिनट में वरुण कुमार ने पेनल्टी कॉर्नर जाया नहीं जाने दिया और भारत को पहली बढ़त दिलायी। गत विजेता अर्जेंटीना के लिए यह अपमान का घूंट पीने के बराबर था। हालांकि इसके बाद अर्जेंटीना ने मैच में बराबरी की जब स्कुथ कासेला ने पेनल्टी कॉर्नर मिलने पर गोल किया। लेकिन इस गोल के बाद रियो ओलंपिक्स में गोल्ड जीतने वाला अर्जेंटीना गोल खाता रहा।
मैच के 58 और 59वें मिनट में अर्जेंटीना ने लगातार दो गोल खाए और इसके बाद उनका मनोबल टूट गया। भारत के लिए विवेक सागर प्रसाद और हरमनप्रीत सिंह ने यह गोल दागे। विवेक सागर ने मैदानी गोल किया जबकि हरमनप्रीत ने पेनल्टी कॉर्नर का इस्तेमाल किया। (वेबदुनिया डेस्क)