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विजेंदर के गाँववालों को स्वर्ण की आस

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हमें फॉलो करें कालूवास गाँव विजेंदर बीजिंग ओलिम्पिक मुक्केबाजी
भिवानी (भाषा) , शुक्रवार, 22 अगस्त 2008 (11:47 IST)
भिवानी जिले के कालूवास गाँव के लोगों को पूरा यकीन है कि इतिहास रचने वाला माटी का लल विजेंदर बीजिंग ओलिम्पिक की मुक्केबाजी स्पर्धा से भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतकर ही लौटेगा।

विजेंदर ने 75 किलोवर्ग के सेमीफाइनल में प्रवेश करके भारत के लिए एक और ओलिम्पिक पदक पक्का कर लिया। इसके बाद से उनके घर पर जश्न का माहौल है और बधाई देने वालों का मेला-सा लग गया है।

विजेंदर के घर के ठीक सामने शामियाना लगाया गया है़, जिसमें उसके प्रशंसकों, मेहमानों, उदीयमान मुक्केबाजों और रिश्तेदारों का जमावड़ा है। हरियाणा परिवहन में काम करने वाले उनके पिता महिपाल सिंह बेनीवाल हर मेहमान का खुद स्वागत कर रहे हैं।

बेनीवाल ने कहा कि मैंने आज विजेंदर से बात की और उसने बताया कि वह स्वर्ण पदक के साथ ही लौटेगा। उसे पूरा यकीन है कि वह क्यूबाई मुक्केबाज को हरा देगा। मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा विजेंदर की इस उपलब्धि पर फूले नहीं समा रहे हैं।

उन्होंने कल चंडीगढ़ में टीवी पर यह मुकाबला देखा। उन्होंने बाद में विजेंदर के पिता को फोन करके बधाई दी और भिवानी में मुक्केबाजी अकादमी खोलने के राज्य सरकार के फैसले की सूचना दी।

विजेंदर की उपलब्धि से कालूवास गाँव अचानक ही सुर्खियों में आ गया है, लेकिन लहजे में ठेठ हरियाणवी अंदाज अभी गया नहीं है। महिपाल और उनकी पत्नी यहाँ जमे दर्जनों पत्रकारों से बातचीत में व्यस्त हैं। वहीं साठ पार के कई लोग चौपाल पर बैठकर हुक्का गुड़गुड़ाते हुए पूरा मजमा देखने में मशगूल हैं।

हर जगह बस विजेंदर के ही चर्चे हो रहे हैं। विजेंदर की माँ कृष्णा बेनीवाल लोगों को चाय पिलाने में मसरूफ हैं। गाँव के युवाओं में भी देशभक्ति का जज्बा हिलोरें मार रहा है। वे वाहनों पर या पैदल ही तिरंगा लेकर निकल पड़े हैं।

सेना से रिटायर हुए विजेंदर के दादा दारायो सिंह का कहना है कि इतने तिरंगे उन्होंने गाँव में एक साथ कभी नहीं देखे। सूबेदार के पद से रिटायर हुए दारायो धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलते हैं। वह आगंतुकों से बड़ी गर्मजोशी से मिल रहे हैं और बड़े फख्र से उन्हें अपने पोते के बारे में बता रहे हैं।

इस बीच साइ के कोच जगदीशसिंह के मार्गदर्शन में अभ्यास करने वाले भिवानी मुक्केबाजी क्लब के उदीयमान मुक्केबाज यह देखकर हैरान हैं कि कैसे यह खेल अचानक युवाओं में लोकप्रिय हो गया।

विजेंदर के कल के मुकाबले के बारे में कुछ ने सनी देओल का मशहूर डायलाग 'ये ढाई किलो का हाथ जब पड़ता है तो आदमी उठता नहीं, बल्कि उठ जाता है' भी सुनाया।

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