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दोहरी भूमिका निभा रहे हैं अखिल

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बीजिंग (भाषा) , शनिवार, 16 अगस्त 2008 (18:04 IST)
बीजिंग ओलिम्पिक में छिपे रूस्तम साबित हुए मुक्केबाज अखिलकुमार जहाँ खुद स्वर्ण पदक जीतने की कवायद में जुटे हैं वहीं अपने साथी मुक्केबाज और चचेरे भाई जितेंद्र के प्रेरणास्रोत की भूमिका में भी हैं।

ओलिम्पिक पदक से एक जीत दूर अखिल क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई कर चुके जितेंद्र को भी तैयार करने में जुटे हैं। वह जितेंद्र के साथ रिंग पर जाकर उनकी हौसला अफजाई करते हैं। जितेंद्र और अखिल दोनों का सपना ओलिम्पिक पदक जीतने का है। जितेंद्र के लिए अखिल उसका सरपरस्त ही नहीं बल्कि सब कुछ है।

अखिल ने कहा कि जब आप मुक्केबाजी दल के सबसे सीनियर सदस्य हैं तो जूनियर के बारे में सोचने का फर्ज बनता है। सिर्फ खुद के बारे में नहीं सोच सकते। उन्होंने कहा कि मुझे युवाओं के साथ बातचीत करना पसंद है, यदि इससे उन्हें मदद मिलती है। जितेंद्र की मुझसे बहुत पटती है और मेरे लिए वह भाई की तरह है। उसकी शैली भी मेरी ही तरह है।

दूसरी ओर जितेंद्र ने कहा कि वह अखिल के लिए पदक जीतना चाहते हैं। उसने कहा कि अखिल मेरे लिए सब कुछ है। मैं उन्हीं के लिए स्वर्ण पदक जीतना चाहता हूँ।

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