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पेस-भूपति ने सबसे ज्यादा किया निराश

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बीजिंग (वार्ता) , शनिवार, 16 अगस्त 2008 (20:27 IST)
खेलमंत्री एमएस गिल से लेकर भारतीय ओलिम्पिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी तक, आम आदमी से लेकर बीजिंग ओलिम्पिक में भाग ले रहे भारतीय खिलाड़ियों तक, सभी को युगल टेनिस योद्धा लिएंडर पेस और महेश भूपति से पदक की भारी उम्मीदें थी। लेकिन ये दोनों अनुभवी खिलाड़ी करोड़ों भारतीयों को निराश कर गए।

बीजिंग ओलिम्पिक शुरू होने से पहले यदि किसी से भारत की पदक उम्मीदों के बारे में पूछा जाता था तो हर कोई सबसे पहले पेस-भूपति का नाम लेता था। प्रेस का यह पाँचवा और भूपति का तीसरा ओलिम्पिक था। सभी को उम्मीद थी कि आपसी मतभेदों को पीछे छोड़कर एकजुट हुए पेस-भूपति इन खेलों में कमाल दिखाएँगे, लेकिन युगल क्वार्टर फाइनल में उनकी हार से टेनिस में भारतीय चुनौती समाप्त हो गई।

इस हार के साथ अपना और देशवासियों का सपना टूट जाने के बाद पेस-भूपति को यह अहसास हो जाना चाहिए कि मात्र एक-दो सप्ताह साथ खेलकर ओलिम्पिक में पदक नहीं जीता जा सकता। इसके लिए लम्बे समय से इकट्ठा खेलने और तालमेल बनाए रखने की जरूरत होती है।

ओलिम्पिक की टेनिस प्रतियोगिता में चार भारतीय खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया और चारों ने ही निराश किया। सानिया मिर्जा एकल के पहले राउंड में और सुनीता राव के साथ युगल के पहले राउंड में हारीं जबकि पेस-भूपति युगल के क्वार्टर फाइनल में हार गए।

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