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बीजिंग की जमीन पर चमके नए सितारे

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सीमान्त सुवीर

चीन ने बीजिंग की जमीन पर 8 अगस्त 2008 की रात को ओलिम्पिक के उद्‍घाटन समारोह में आतिशबाजी से आकाश में अलौकिक चमक बिखेरकर सबको मंत्रमुग्ध किया था। लेकिन इसके बाद इससे कहीं ज्यादा चमक बिखेरी उन खिलाड़ियों ने, जिन्होंने अपने प्रदर्शन से न सिर्फ अपने देश बल्कि पूरी दुनिया को अपना दीवाना बना दिया।

किसी भी ओलिम्पिक का सबसे अधिक आकर्षण 100 मीटर फर्राटा दौड़ होती है, जबकि इन खेलों का समापन मैराथन दौड़ के साथ होता है। ओलिम्पिक की इन दोनों ही प्रमुख स्पर्धाओं में दुनिया ने नए चैम्पियनों को देखा। और हैरत की बात तो यह है कि चैम्पियनों में अमेरिका का कोई एथलीट नहीं था। 100 मीटर में जमैका के यूसैन बोल्ट ने बाजी मारी तो मैराथन में केन्याई एथलीट चैम्पियन बना।

धरती का सबसे तेज धावक : अपनी तूफानी रफ्तार से बीजिंग ओलिम्पिक के एथलेटिक्स ट्रैक पर धरती के सबसे तेज धावक बनने का सम्मान यूसैन बोल्ट ने हासिल किया। यूसैन के लिए बीजिंग हमेशा के लिए इसलिए भी यादगार बन गया, क्योंकि उन्होंने यहाँ 'फर्राटा डबल' पूरा कर नया इतिहास रचा।

100 मीटर दौड़ 9.69 सेकंड के विश्व रिकॉर्ड समय में पूरी करने के बाद उन्होंने 200 मीटर दौड़ भी 19.30 सेकंड के विश्व रिकॉर्ड समय में पूरी की। इस तरह वे पहले एथलीट बन गए, जिन्होंने एक ही ओलिम्पिक में 2 स्पर्धाओं में विश्व कीर्तिमान तोड़े।

यही नहीं, वे 1984 में अमेरिका के कार्ल लेविस के बाद 'फर्राटा डबल' बनाने वाले पहले धावक बन गए। बोल्ट ने 200 मीटर दौड़ में अमेरिका के माइकल जॉनसन का 1996 के अटलांटा ओलिम्पिक में बनाया 19.32 सेकंड का पिछला रिकॉर्ड तोड़ा।

मैराथन में वांसिरू का रिकॉर्ड प्रदर्शन : 21 बरस के सैमुअल वांसिरू ओलिम्पिक मैराथन जीतने वाले पहले केन्याई धावक बने। उन्होंने 42.15 किलोमीटर का फासला रिकॉर्ड 2 घंटे 6 मिनट और 32 सेकंड में तय किया। केन्या इससे पहले दो बार पुरुष मैराथन का रजत पदक जीत चुका था, लेकिन यह पहला मौका है, जब उसने मैराथन में सोने की चमक देखी।

वांसिरू ने तीन बरस पहले ही मैराथन दौड़ में हिस्सा लेना प्रारंभ किया था और हाफ मैराथन में रिकॉर्ड स्थापित किया था। बीजिंग में केन्याई एथलीटों ने हैरतअंगेज प्रदर्शन करके 14 पदक जीते, जिसमें पाँच स्वर्ण शामिल थे। उससे आगे सिर्फ अमेरिका 23 पदकों के साथ प्रथम और रूस 18 पदकों के साथ दूसरे नम्बर पर रहा।

युवा सनसनी पामेला जेलिमो भी महिला वर्ग में केन्या का परचम लहराने में सफल रहीं। उन्होंने महिला वर्ग में केन्या के लिए पहला स्वर्ण पदक 800 मीटर में जीतकर खाता खोला था।

अनूठी शैली : जमैका की शैली एन. फ्रेजर की जिन्दगी की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। शैली का बचपन बेहद तंगहाली में बीता। जब वे अपनी माँ के साथ सड़क किनारे सामान बेचती रहती और ऐसे में पुलिस के आने पर उन्हें सामान लेकर भागना पड़ता था। इसी भागदौड़ ने उन्हें एथलीट बना दिया। बीजिंग ओलिम्पिक में शैली महिलाओं की 100 मीटर फर्राटा दौड़ में 10.78 सेकंड के समय के साथ दुनिया की सबसे तेज धाविका बन गईं।

वैसे फर्राटा दौड़ में जमैका का ही जलवा रहा, जहाँ उसने 'क्लीन स्वीप' करते हुए तीनों पदकों पर अपना कब्जा जमाया। शैली के बाद दूसरे नंबर पर रहने वाली शेरोन सिम्पसन ने 10.98 सेकंड के साथ रजत और केरोन स्टुअर्ट ने 10.98 सेकंड के साथ काँस्य पदक जीता।

इथोपिया की दिबाबा का दबदबा : जिस तरह पुरुषों में यूसैन बोल्ट दो स्पर्धाओं को जीतकर 'ओलिम्पिक डबल' बनाने वाले 1984 के बाद (कार्ल लेविस) पहले एथलीट बने तो यह गौरव महिला वर्ग में इथोपिया की दिबाबा ने प्राप्त किया। वे दुनिया की पहली ऐसी महिला एथलीट बनीं जिन्होंने 5 हजार मीटर के बाद 10 हजार मीटर में स्वर्णिम सफलता प्राप्त की। 10 हजार मीटर में वे नया ओलिम्पिक रिकॉर्ड स्थापित करने में सफल रहीं।

बेकेले का 10 हजार मीटर का खिताब बरकरार : केनेनिसा बेकेले ने अपने ही ओलिम्पिक कीर्तिमान को सुधारते हुए पुरुषों की 10 हजार मीटर दौड़ के स्वर्ण पदक पर कब्जा बरकरार रखा। इथियोपिया के बेकेले ने 27 मिनट 01.17 सेकंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता और एथेंस में बनाए अपने 27 मिनट 05.10 सेकंड के कीर्तिमान को सुधारा।

केनेनिसा ने इससे पहले बीजिंग में 5 हजार मीटर में भी स्वर्ण पदक जीता और अपना 'ओलिम्पिक डबल' पूरा किया। आश्चर्य की बात तो यह है कि उन्होंने 5 हजार और 10 हजार दोनों में ओलिम्पिक रिकॉर्ड कायम किए। एथेंस में भी केनेनिसा ने 5 हजार मीटर में रजत पदक पाया था। इस तरह अब तक वे 3 ओलिम्पिक स्वर्ण और 1 रजत पदक जीत चुके हैं।

एलेना इसिनबाएवा की स्वर्णिम छलाँग : गत ओलिम्पिक चैंपियन रूस की एलेना इसिनबाएवा ने इस बार भी अपनी स्वर्णिम छलाँग का सिलसिला जारी रखा। उन्होंने ऊँची कूद में अपने ही विश्व कीर्तिमान में सुधार करते हुए स्वर्ण पदक जीता।

इस साल यह तीसरा प्रसंग है जबकि इसिनबाएवा ने नया विश्व रिकॉर्ड कायम किया है। बीजिंग से पहले रोम और मोनाको में विश्व रिकॉर्ड ध्वस्त कर चुकी थीं। बीजिंग में इसिनबाएवा ने 5.05 मी. की ऊँचाई पार की। उन्होंने अपने पुराने रिकॉर्ड को 0.01 सेंटीमीटर से ध्वस्त किया।

फेल्प्स ने पानी से निकाला सोना और रचा इतिहास : जब भी बीजिंग ओलिम्पिक का जिक्र ‍‍छिड़ेगा तो सबसे पहला नाम अमेरिका के सोने से लदे तैराक माइकल फेल्प्स का नाम जुबाँ पर आएगा।

फेल्प्स ने जब भी स्व‍िमिंग पूल में छलाँग लगाई, वे सोना लेकर ही लौटे। उन्होंने 400 मीटर व्यक्तिगत मेडले, 4 गुणा 100 मीटर फ्रीस्टाइल रिले, 200 मीटर फ्रीस्टाइल, 200 मीटर बटरफ्लाई, 2 गुणा 400 मीटर फ्रीस्टाइल रिले, 200 मीटर व्यक्तिगत मेडले और 100 मीटर बटरफ्लाई और 4 गुणा 100 मीटर मेडले रिले में भाग लिया और सभी में सोना बटोरकर ओलिम्पिक इतिहास के पन्नों पर अपना नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज करवा दिया।

अमेरिकी तैराक स्पिट्ज ने 1972 के म्यूनिख ओलिम्पिक खेलों में सात स्वर्ण पदक जीते थे, लेकिन आठ स्वर्ण जीतकर ओलिम्पिक में नया इतिहास बनाने की गरज से चीन की जमीन पर कदम रखने वाले फेल्प्स ने पानी में ऐसा तूफान मचाया कि स्पिट्ज का रिकॉर्ड इतिहास बनकर रह गया। उन्होंने आठ में से सात स्पर्धाओं में नया विश्व रिकॉर्ड कायम करने के साथ स्वर्ण पदक जीते।

एथेंस ओलिम्पिक के मिले सोने के छह तमगों को मिलाकर ओलिम्पिक में फेल्प्स के स्वर्ण पदकों की संख्या कुल 14 हो चुकी है और अभी भी उनकी प्यास नहीं बुझी है। उन्होंने ऐलान कर दिया है कि वे 2012 के लंदन ओलिम्पिक में भी उतरकर अपने स्वर्ण पदकों की संख्या को बढ़ाना पसंद करेंगे।

जलपरी स्टेफनी राइस : जिस प्रकार ओलि‍म्पिक तैराकी में फेल्प्स का जादू सिर चढ़कर बोला, उसी तरह महिला वर्ग में ऑस्ट्रेलिया की
स्टेफनी राइस ने 'जलपरी' बनने का सम्मान प्राप्त किया। राइस ने अपना गला तीन सोने के पदकों से सजाया। उन्होंने 400 मीटर व्यक्तिगत मेडले और 200 मीटर व्यक्तिगत मेडले में विश्व कीर्तिमान स्थापित किए जबकि तीसरा स्वर्ण पदक उन्होंने मेडले रिले में जीतने में सफलता प्राप्त की।

साइकिलिंग में क्रिस छाए : बीजिंग ओलिम्पिक के वैलोड्रम (साइकिलिंग ट्रैक) पर ब्रिटेन के क्रिस होय को कोई भी चुनौती नहीं दे पाया। वे यहाँ पर तीन स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रहे। 100 साल बाद (1908) साइकिलिंग में तीन स्वर्ण पदक अर्जित करने वाले वे पहले ब्रिटिश खिलाड़ी हैं। क्रिस ने एथेंस ओलिम्पिक में भी स्वर्ण पदक जीता था, लिहाजा अब उनके स्वर्ण पदकों की संख्या चार हो गई है।

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