बीजिंग में आठ स्वर्ण पदक जीतकर ओलिम्पिक खेलों के इतिहास पुरुष बने तैराक माइकल फेल्प्स का स्वर्णिम अभियान चीन में ही खत्म नहीं हो गया बल्कि उनके इरादे लंदन में 2012 में होने वाले ओलिम्पिक खेलों में भी कोई नया कारनामा करने के हैं।
फेल्प्स ने कहा कि मैं कभी लंदन नहीं गया हूँ। अगले कुछ दिन में वहाँ पहली बार जाऊँगा। लंदन ओलिम्पिक में इतने पदक जीतना आसान नहीं होगा। तब मेरी उम्र भी अधिक होगी और हड्डियाँ भी चार साल बूढी़ हो जाएँगी, लेकिन मैं लंदन ओलिम्पिक में भी हिस्सा लूँगा।
इस अमेरिकी तैराक ने सीएनएन को दिए इंटरव्यू में कहा कि मुझे नई चुनौतियों का सामना करना अच्छा लगता है। लोग जब कह देते हैं कि यह मुमकिन नहीं तो मुझे उसे कर दिखाने में और मजा आता है। इससे मैं दस गुना अच्छा प्रदर्शन कर पाता हूँ।
मार्क स्पिट्ज का सात ओलिम्पिक स्वर्ण का रिकॉर्ड तोड़ने वाले फेल्प्स ने कहा कि उन्होंने रिकॉर्ड के बारे में नहीं सोचा था लेकिन वह कुछ नया करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि मैं ऐसा तैराक बनना चाहता था जो तैराकी के मायने बदल दे। तभी मैंने पहली बार इसके बारे में सोचा। मुझे याद भी नहीं कि यह कितनी पुरानी बात है, लेकिन मैं ऐसा कुछ करना चाहता था जो खेलों में पहली बार हुआ हो।
आठ पदक जीतने के बाद के अनुभव के बारे में 23 बरस के फेल्प्स ने कहा मैने आज सुबह पहली बार आठों पदक एक साथ पहने और मेरे गले में दर्द होने लगा। यह अविश्वसनीय अनुभव है। मैंने पिछले चार साल में वह सब किया जो मैं करना चाहता था। ये यादें मैं कभी नहीं भुला सकूँगा।
अपने रिकॉर्ड और पदकों पर परिवार की प्रतिक्रिया से आह्लादित फेल्प्स ने कहा कि मैं अपनी माँ और बहनों को जल्दी से गले लगाना चाहता था। सारे हफ्ते मैं उन्हें टीवी पर देखता रहा। उन्होंने कहा कि मेरे दोस्तों ने तो मुझे एसएमएस करके बताया कि मुझसे ज्यादा टीवी पर मेरी माँ और बहनें नजर आ रही हैं। (भाषा)