बीजिंग ओलिम्पिक के क्वार्टर फाइनल में हार ने भी साइना नेहवाल की जज्बे को कम नहीं किया है और भारत की इस प्रतिभावान बैडमिंटन खिलाड़ी ने कहा कि 2012 लंदन खेलों में उनकी नजरें स्वर्ण पदक पर टिकी हैं।
साइना ने कहा मैं निराश हूँ कि मैं सेमीफाइनल में जगह बनाने से चूक गई लेकिन अब मैं अधिक अनुभवी हूँ। मैंने ऐसे कई मैच गँवाएँ हैं इसलिए हार मेरे लिए हौव्वा नहीं हैं।
उन्होंने कहा यह मेरा पहला ओलिम्पिक था और मैंने इतनी आगे जाने के बारे में सपने में भी नहीं सोचा था। क्वार्टर फाइनल में पहुँचना भी काफी अच्छा प्रदर्शन था। मुझे पता है कि मैं अच्छा खेल रही हूँ और बीजिंग ओलिम्पिक गाँव में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को देखकर सीख लिया है कि प्रतिस्पर्धा में कैसे बने रहना है और फॉर्म को बरकरार रखना हैं।
ओलिम्पिक बैडमिंटन के क्वार्टर फाइनल में पहुँचने वाली पहली भारतीय बनी साइना ने कहा उम्मीद है। कि अगले ओलिम्पिक में मैं स्वर्ण पदक जीत पाऊँगी जो अब मेरा मुख्य लक्ष्य हैं।
गिल ने गोपीचंद से पूछा आप कौन हैं : खेलमंत्री एमएस गिल आज राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच और पूर्व ऑल इंग्लैंड चैम्पियन पुलेला गोपीचंद को नहीं पहचान सके जो ओलिम्पिक साइना नेहवाल के साथ उनसे मिलने गए थे।
खेलमंत्री ने बीजिंग ओलिम्पिक खेलों की बैडमिंटन स्पर्धा के क्वार्टर फाइनल तक पहुँचने वाली साइना का तो गर्मजोशी के साथ स्वागत किया लेकिन उनके साथ गए गोपीचंद को नहीं पहचान पाए और पूछा कि वह कौन है।
आप कौन हैं? यह पूछने पर गोपीचंद के पास कोई और चारा नहीं था और उन्होंने खुद अपना नाम बता कर खेलमंत्री को परिचय दिया। प्रकाश पादुकोण के बाद गोपीचंद भारत के ऐसे केवल दूसरे बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिन्होंने आल इंग्लैंड बैडमिंटन का खिताब जीता था। उन्होंने यह कारनामा 2001 में किया था।