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...तो स्वर्ण पदक होता मैरीकॉम के नाम

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नई दिल्ली , बुधवार, 8 अगस्त 2012 (22:43 IST)
PTI
पांच बार की विश्व चैंपियन एमसी मैरीकॉम की फिजियो हेमा वलेचा ने कहा कि लंदन ओलिंपिक खेलों के 51 किग्रा वर्ग के सेमीफाइनल में उनकी 6-11 से करारी शिकस्त के लिए ब्रिटिश मुक्केबाज निकोला एडम्स का ऊंचा कद और इस वजन वर्ग में उनका दबदबा महत्वपूर्ण कारण रहा।

हेमा ने कहा कि मैरीकॉम ने पूरी कोशिश की लेकिन उन्होंने ओलिंपिक खेलों के लिए अपने वजन वर्ग में बदलाव किया था और 48 किग्रा से 51 किग्रा में आई थीं जबकि ब्रिटिश मुक्केबाज शुरू से ही इस वर्ग में खेलती आई हैं। हेमा को भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा डेढ़ साल पहले ओलिंपिक तैयारियों के लिये महिला मुक्केबाजी दल के लिए नियुक्त किया गया था।

उन्होंने कहा कि निकोला का ऊंचा कद भी मैरीकॉम के खिलाफ गया, जिन्होंने दूर रहकर मैरीकॉम पर कई ताकतवर पंच लगाए। यह पूछने पर मैरीकॉम पिछली बाउट की तरह इस मुकाबले में आक्रामक नहीं दिख रही थीं तो क्या फिटनेस या दबाव इसका कारण था तो उन्होंने कहा कि नहीं ऐसा नहीं। उन्होंने अपना वजन बढ़ाया था जिससे शरीर पर असर होता है।

लेकिन इसके लिए हमने काफी काम किया था। मुझे पूरा भरोसा है कि अगर वे अपने वर्ग में खेलती तो इसमें स्वर्ण पदक पक्का था। मैरीकॉम का पांच फुट दो इंच कद उनके खिलाफ गई क्योंकि निकोला ने अपने भारी-भरकम शरीर और लंबे हाथों का इस्तेमाल अच्छी तरह किया और दूर से ही पंच लगाये, साथ ही वे भारतीय मुक्केबाज की पहुंच से भी दूर रहीं।

ब्रिटिश मुक्केबाज ने मैरीकॉम को 11-6 से शिकस्त दी। हेमा से यह पूछने पर कि कहीं कोई चोट की बात तो नहीं थी तो उन्होंने कहा कि मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकती, अभी मेरी उनसे कोई बात नहीं हुई है। ऐसा लग रहा था कि मैरीकॉम आसानी से हार गई तो वे इस बात से सहमत नहीं थीं

उन्होंने कहा कि मैं ऐसा नहीं मानती कि उसने आसानी से घुटने टेक दिए, वे प्रयास कर रही थी लेकिन ब्रिटिश मुक्केबाज अपने वर्ग में मजबूत थी। लेकिन उनका मानना है कि ओलिंपिक खेलों में पहली बार शामिल की गई महिला मुक्केबाजी में कांस्य पदक जीतना भी देश के लिए गर्व की बात है और वह भी तब जब उन्होंने ओलिंपिक खेलों के लिये अपने वजन वर्ग में बदलाव किया है।

मैरीकॉम के वजन वर्ग बदलने में अहम भूमिका निभाने वाली हेमा ने कहा कि मैरीकॉम का कांस्य पदक भी कम नहीं है। महिला मुक्केबाजी पहली बार ओलिंपिक में शामिल की गईं और उन्होंने इतने कम समय में अपने वर्ग, जिसमें उन्होंने ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं, में बदलाव कर देश को ओलिंपिक का पदक दिलाया। यह बहुत बड़ी बात है। (भाषा)

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