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पदक जीतने पर मां थी निराश क्योंकि...- नारंग

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पुणे , बुधवार, 8 अगस्त 2012 (18:50 IST)
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लंदन ओलिंपिक खेलों में देश को निशानेबाजी में पहला पदक दिलाने वाले गगन नारंग के कांस्य पदक का जश्न पूरे देश में मनाया जा रहा है लेकिन इस शीर्ष निशानेबाज ने कहा कि उनकी मां इस बात से निराश थीं कि यह स्वर्ण पदक नहीं था।

स्टार राइफल निशानेबाज का यहां लंदन से लौटने पर भव्य स्वागत किया गया और उन्होंने यहां एक सम्मान समारोह में कहा कि वे चाहती थीं कि मैं स्वर्ण पदक जीतूं। मैं भविष्य में उनकी इस इच्छा को पूरा करने की कोशिश करूंगा। नारंग को ‘गन फोर ग्लोरी’ अकादमी में महाराष्ट्र के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री पदमाकर वाल्वी ने सम्मानित किया।

इस अवसर पर ओलिंपियन राही सरनोबत और नारंग के माता-पिता को भी सम्मानित किया गया। राष्ट्रमंडल खेल 2010 में कई स्वर्ण जीतने वाले स्टार निशानेबाज ने कहा कि वे अपनी स्पर्धा से पहले थोड़े चिंतित थे और उन्होंने खुद को नियंत्रित करने के लिए अपने कोच स्टेनिसलास लैपिडस के आईपैड का सहारा लिया।

नारंग ने कहा कि मैं थोड़ा नर्वस था, इसलिए मैंने आधा घंटा देर से स्पर्धा शुरू की। मेरे कोच ने मुझे अपने आईपैड में एक गेम खिलाया। नारंग ने कहा कि फाइनल्स के लिए क्वालीफाई करने के बाद मैं सचमुच काफी खुश था। मेरे कंधों से काफी भारी बोझ उतर गया था।

फाइनल्स में मैं खुद पर काबू रख सका और मैंने अंतिम शॉट 10.7 का लगाया जब मुझे कांस्य पदक जीतने के लिए 10.2 के शॉट की जरूरत थी। मौजूदा ओलिंपिक में भारत के प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए नारंग ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि देश खेलों की महाशक्ति नहीं बन सकता।

उन्होंने कहा कि यह लगातार होने वाली प्रक्रिया है। हमने लय पकड़ ली है और हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसकी शुरुआत राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के एथेंस में रजत पदक से हुई जिसके बाद बीजिंग में हमने बिंद्रा के स्वर्ण के अलावा दो कांस्य जीते। यह उत्साह बढ़ाने वाला है।

उन्होंने कहा कि खेलों को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। उन्होंने अन्य राज्यों से भी महाराष्ट्र और हरियाणा की राह पर चलकर खेलों को बढ़ावा देने की अपील की। नारंग ने सम्मान समारोह में कहा कि खेल बच्चे के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं और इसलिए इन्हें उनके पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय कोच तथा राइफल कोच स्टेनिसलास लैपिडस की प्रशंसा करते हुए नारंग ने कहा कि इन लोगों के सहयोग के बिना उनके लिए पदक जीतना संभव नहीं होता। इस अवसर पर नारंग के माता-पिता को भी सम्मानित किया गया। (भाषा)

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