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गर्त में भारतीय हॉकी, ओलिंपिक में आखिरी स्थान

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लंदन , शनिवार, 11 अगस्त 2012 (17:21 IST)
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भारतीय हॉकी टीम ने ओलिंपिक खेलों में अब तक का अपना सबसे शर्मनाक प्रदर्शन लंदन में किया और शनिवार को यहां क्लासिफिकेशन मैच में दक्षिण अफ्रीका के हाथों 2-3 की हार के कारण उसे 12 देशों के टूर्नामेंट में आखिरी स्थान मिला।

भारत ने इस तरह से टूर्नामेंट में अपने सभी छ: मैच गंवाए। दक्षिण अफ्रीका के हाथों हार के साथ ही उसका लंदन ओलिंपिक का पीड़ादायक सफर भी समाप्त हो गया। रक्षापंक्ति का लचर प्रदर्शन, स्ट्राइकरों का मौके नहीं भुना पाना तथा पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने में नाकाम रहने के कारण भारत को ओलिंपिक खेलों में शर्मसार होना पड़ा।

आठ बार के ओलिंपिक चैंपियन भारत ने पहली बार ओलिंपिक में सभी मैच गंवाए। दक्षिण अफ्रीका को टूर्नामेंट की कमजोर टीम माना जा रहा था लेकिन भारतीय उसके सामने भी फिसड्डी साबित हुए। ये दोनों टीमें अपने पूल में अंतिम स्थान पर रही थीं जिसके कारण इन्हें 11वें और 12वें स्थान का मैच खेलना पड़ा।

भारत को उम्मीद थी कि जर्मनी के मोशेंगलाबाश में खेले गए विश्व कप की तरह वह दक्षिण अफ्रीका को हराकर अंतिम स्थान पर आने से बच जाएगा लेकिन दक्षिण अफ्रीकी स्ट्राइकरों ने मौकों का फायदा उठाकर भारतीय कोशिशों को नाकाम कर दिया।

दक्षिण अफ्रीका की तरफ से एंड्रयू क्रोन्ये (आठवें मिनट), टिमोथी ड्रमंड (34वें मिनट) और लायड नोरिस जोन्स (66वें मिनट) ने गोल किए जबकि भारत के लिये संदीप सिंह (24वें मिनट) और धर्मवीर सिंह (67वें मिनट) ने गोल दागे।

भारतीय टीम ने केवल आखिरी क्षणों में गोल करने के लिए बेताबी दिखाई जबकि दक्षिण अफ्रीकी टीम बढ़त पर थी। दक्षिण अफ्रीका ने तब बढ़त बनाई जब क्रोन्य ने दाएं छोर से मिले पास पर गोल किया।

संदीप ने 14वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलकर बराबरी का गोल दागा। इसके तीन मिनट बाद गुरविंदर सिंह चांदी के पास गोल करने का अच्छा मौका था लेकिन वे नाकाम रहे। इसके बाद 31वें मिनट में दानिश मुज्तबा का प्रयास दक्षिण अफ्रीकी गोलकीपर इरामुस पीयत्रसे ने नाकाम किया।

दक्षिण अफ्रीका ने मध्यांतर के एक मिनट पहले बढ़त हासिल की। उसकी तरफ से यह गोल ड्रमंड ने बायें छोर से मिले क्रास पर किया। भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने डाइव मारकर उसे रोकने की कोशिश की लेकिन वे इसमें असफल रहे।

भारतीयों ने दूसरे हाफ में कुछ अच्छे मूव बनाए लेकिन वे दक्षिण अफ्रीकी गोलकीपर को परेशानी में नहीं डाल पाए। चांदी ने 44वें मिनट में गोलकीपर के पैड पर शॉट जमाया। इसके दस मिनट बाद एसवी सुनील को दाएं छोर सेंट्रल में पास मिला लेकिन वह भी गोलकीपर के पैड से टकरा गया।

धर्मवीर ने इसके बाद जवाबी हमला करते हुए शॉट जमाया लेकिन उनका शॉट भी गोलकीपर ने रोक दिया। संदीप ने इस बीच दो पेनल्टी कॉर्नर गंवाए। इससे पहले ओलिंपिक में भारतीय टीम का सबसे खराब प्रदर्शन अटलांटा 1996 में रहा था।

तब वह आठवें स्थान पर रही थी। इसके अलावा भारत बीजिंग ओलिंपिक 2008 के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया था। भारत की इस हार ने 1986 में लंदन में हुए विश्व कप की यादें ताजा हो गईं। उस समय भी भारत 12 टीमों के टूर्नामेंट में आखिरी स्थान पर रहा था।

तब प्लेऑफ में उसे पाकिस्तान ने हराया था। यह पहला अवसर है जबकि भारत ओलिंपिक जैसे किसी बड़े टूर्नामेंट में दक्षिण अफ्रीका के हाथों पराजित हुआ। भारत को मैच में चार पेनल्टी कॉर्नर मिले जिसमें से वह केवल एक पर गोल कर पाया।

उसने इसके अलावा दस शॉट गोल पर जमाए लेकिन इनमें से केवल एक पर ही गोल हो पाया। दूसरी तरफ दक्षिण अफ्रीका ने 11 बार भारतीय गोल पर हमला किया और इनमें से तीन बार वह गोल करने में सफल रहा। भारत लंदन ओलिंपिक में एक भी मैच नहीं जीत पाया। उसे ग्रुप बी में हॉलैंड ने 3-2, न्यूजीलैंड ने 3-1 से, जर्मनी ने 5-2 से, दक्षिण कोरिया ने 4-1 और बेल्जियम ने 3-0 से हराया था। (भाषा)

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