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भारतीय एथलीट बेहतर प्रदर्शन तक भी नहीं पहुंचे

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 10 अगस्त 2012 (18:06 IST)
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टिंटू लुका, कृष्णा पूनिया और विकास गौड़ा सहित कोई भी भारतीय एथलीट लंदन ओलिंपिक खेलों के एथलेटिक्स में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को नहीं दोहरा पाया और फिर से ओलिंपिक की इस महत्वपूर्ण प्रतियोगिता में भारत का पदक जीतने का सपना अधूरा ही रह गया।

भारत को ओलिंपिक से पहले पूनिया, गौड़ा और टिंटू लुका से धुंधली से उम्मीद बनी थी। इन तीनों ने पहली बाधा पार करके आस जगाई, लेकिन फाइनल या सेमीफाइनल में उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली चक्का फेंक की एथलीट पूनिया ने क्वालीफाइंग में 63-54 मीटर चक्का फेंककर फाइनल में जगह बनाई, लेकिन वहां वह 63-62 मीटर ही चक्का फेंक पाई और सातवें स्थान पर रहीं।

पूनिया किसी भी समय अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 64.76 मीटर के करीब पहुंचने की स्थिति में नहीं दिखी, जो उन्होंने इसी साल आठ मई को बनाया था। यह राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है। महिलाओं की चक्का फेंक में भारत की दूसरी एथलीट सीमा अंतिल 61-91 मीटर की दूरी पार करके क्वालीफाई भी नहीं कर पाई। यह उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 64-84 मीटर से काफी कम है जो उन्होंने आठ साल पहले 2004 में कीव में बनाया था।

इसी स्पर्धा के पुरुष वर्ग में विकास गौड़ा ने 65.20 मीटर चक्का फेंककर पांचवें स्थान पर रहकर फाइनल में प्रवेश किया, लेकिन वहां वह 64.79 मीटर की दूरी तक ही चक्का फेंक पाए और आठवें स्थान पर रहे। गौड़ा ने इसी साल अप्रैल में 66 . 28 मीटर चक्का फेंककर राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया था और यदि वे इसे तोड़ने में सफल रहते तो उनकी स्थिति और बेहतर होती।

पुरुषों के गोला फेंक में ओमप्रकाश करहाना ने भी निराश किया। वह 19.86 मीटर गोला फेंककर फाइनल के लिए भी क्वालीफाई नहीं कर पाए। ओमप्रकाश ने मई 2012 में हंगरी के सजोनबाथले में 20.69 मीटर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाकर ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया था।

त्रिकूद में रंजीत माहेश्वरी तो अपने तीनों प्रयास में फाउल करने के कारण बाहर हो गए थे। महिलाओं की 800 मीटर दौड़ में पीटी उषा की शिष्या टिंटू लुका ने सेमीफाइनल में जगह बनाई, जहां उन्होंने दो मिनट से कम समय (एक मिनट 59.69 सेकंड) में यह दूरी पूरी करके इस सत्र का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन वह अपने राष्ट्रीय रिकॉर्ड 1 मिनट 59.17 सेकंड में सुधार नहीं कर पाईं, जो उन्होंने 2010 में क्रोएशिया में कांटिनेंटल कप में बनाया था।

सुधा सिंह भी 3000 मीटर स्टीपलचेज में 9 मिनट 48.86 सेकंड का समय लेकर 13वें स्थान पर रहीं। उन्होंने भी इसी साल में जून में 9 मिनट 47.70 सेकंड के राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया था लेकिन लंदन में वह इसे नहीं दोहरा पाई।

भारत का एथलेटिक्स में अभियान अभी समाप्त नहीं हुआ है। अभी 11 अगस्त को बसंत बहादुर राणा 50 किमी पैदल चाल में भाग लेंगे। इस स्पर्धा में भाग लेने वाले पहले भारतीय बने राणा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन चार घंटे दो मिनट 13 सेकंड है और देखना है कि वह लंदन में इसमें सुधार कर पाते हैं या नहीं।

ओलिंपिक के आखिरी दिन 12 अगस्त को राम सिंह मैराथन में भारतीय चुनौती पेश करेंगे। वह ओलिंपिक मैराथन में भाग लेने वाले दूसरे भारतीय हैं। उनसे पहले शिवनाथ सिंह ने 1976 मांट्रियल ओलिंपिक में भाग लिया था।

रामसिंह ने इस साल मुंबई मैराथन में दो घंटे 16 मिनट 59 सेकंड का समय निकालकर ओलिंपिक क्वालीफाईंग का ‘बी’ क्वालीफिकेशन स्टैंडर्ड हासिल किया था। यह उनका सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत प्रदर्शन भी है। (भाषा)

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