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मैरीकॉम को कांसे से करना पड़ा संतोष

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लंदन , बुधवार, 8 अगस्त 2012 (23:54 IST)
PTI
भारत की एमसी मैरीकॉम लंदन ओलिंपिक की महिला मुक्केबाजी प्रतियोगिता के 51 किग्रा वर्ग में सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रच चुकी थीं लेकिन उनका स्वप्निल अभियान ब्रिटेन की निकोला एडम्स के हाथों अंतिम चार में आज 6-11 की पराजय के साथ थम गया और उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।

ओलिंपिक में पहली बार शामिल की गयी महिला मुक्केबाजी प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में पहुंची मैरीकॉम से भारत को खासी उम्मीदें थीं1 भारतीय समयानुसार शाम सवा छह बजे जब यह मुकाबला शुरू हुआ तो करोड़ों भारतीयों की निगाहें उस पर टिकी हुई थी कि 'मैग्नीफिशंट मैरी' क्या करिश्मा कर पाती हैं।

मैरीकॉम ने बहुत कोशिश की लेकिन ब्रिटिश मुक्केबाज उनसे बेहतर साबित हुई। निकोला ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की मौजूदगी में भारतीय मुक्केबाज को चार राउंड में 3-1, 2-1, 3-2 और 3-2 से पीट दिया। निकोला ने यह मुकाबला 11-6 से जीता।

पांच बार की विश्व चैंपियन मैरीकॉम का अभियान थमने के साथ भारत को लंदन ओलिंपिक में उसका तीसरा कांस्य और कुल चौथा पदक मिल गया। निशानेबाज विजय कुमार ने रजत जीता जबकि निशानेबाज गगन नारंग तथा बैडमिंटन खिलाडी साइना नेहवाल ने कांस्य पदक जीता1 इन चार पदकों के साथ भारत ने बीजिंग ओलिंपिक की तीन पदकों की संख्या को पीछे छोड़ दिया।

मैरीकॉम पूरे मुकाबले में निकोला के खिलाफ हमेशा बैकफुट पर रही। निकोला में जहां गजब की फुर्ती और मुक्कों में ताकत दिखाई दे रही थी, वहीं मैरी काफी थकी नजर आ रही थीं और उनके पंच निकोला के चेहरे पर लगने के बजाए दाएं-बाएं से निकल रहे थे। पहले ही राउंड में निकोला के प्रहार से मैरीकॉम का हैडगीयर हिल गया, जिसे ठीक कराने के लिए उन्हें कोच के पास जाना पड़ा।
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पहला राउंड जब समाप्त हुआ तो ब्रिटिश मुक्केबाज 3-1 से आगे थीं। दूसरे राउंड में मैरी ने वापसी करने की भरपूर कोशिश लेकिन निकोला ने अपने जोरदार प्रहारों से मैरीकॉम को पस्त कर दिया1 दूसरा राउंड 1-2 से निकोला के पक्ष में रहा और अब ब्रिटिश मुक्केबाज के पास 5-2 की मजबूत बढ़त आ चुकी थी।

तीसरे और चौथे राउंड में मैरी ने पहले दो राउंड के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। ब्रिटिश मुक्केबाज अपनी बढत को मजबूत कर रही थीं और उसके दाएं.बाएं के प्रहार मैरी को कोई मौका नहीं दे रहे थे। मैरी अपना डिफेंसिव रख छोडकर आक्रमण पर आ चुकी थीं लेकिन निकोला को सिर्फ अपनी बढत का बचाव करना था।

तीसरा राउंड 2-3 से निकोला के पक्ष में गया और उनकी बढत अब 8-4 हो चुकी थी। अंतिम राउंड में मैरी ने हताशा में दूर से पंच मारने की कोशिश की मगर ब्रिटिश समर्थकों ने अपनी मुक्केबाज की जीत का जश्न मनाना शुर कर दिया था।

निकोला ने चौथा राउंड भी 3-2 से समाप्त किया और 11-6 से मुकाबला जीतकर फाइनल में स्थान बना लिया जहां उनका मुकाबला दुनिया की नंबर एक मुक्केबाज चीन की रेन केनकेन से होगा, जिन्होंने अमेरिका की मार्लेन एस्पारजा की कड़ी चुनौती पर 10-8 से काबू पा लिया।

भारतीय और ब्रिटिश मुक्केबाज दोनों की उम्र हालांकि एक समान 29 वर्ष है लेकिन जुडवां बेटों की सुपर माम मैरीकॉम निकोला के मुकाबले कुछ धीमी साबित हुई1 मैरीकॉम ओलिंपिक क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट में भी क्वार्टर फाइनल में निकोला से हारी थीं लेकिन निकोला के फाइनल में पहुंचने के कारण उन्हें ओलिंपिक का टिकट मिल गया था।

मैरीकॉम का लंदन ओलिंपिक में अभियान हालांकि सेमीफाइनल में थम गया लेकिन उन्होंने कांस्य पदक जीतकर अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा लिया। वह ओलिंपिक में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय महिला खिलाडी और दूसरी भारतीय मुक्केबाज हैं। इससे पहले भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी ने 2000 के सिडनी ओलिंपिक में कांस्य पदक और सायना ने लंदन में महिला एकल में कांस्य पदक हासिल किया था।

मणिपुर की मैरीकॉम ने 2002, 2005, 2006, 2008 और 2010 की विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते थे। उनके ये सभी स्वर्ण पदक 46 और 48 किग्रा में थे। ओलिंपिक में यह वजन वर्ग न होने के कारण उन्हें खुद को 51 किग्रा फ्लाईवेट वजन वर्ग में शिफ्ट करना पड़ा और उन्होंने आखिर कांस्य पदक जीतकर ओलिंपिक पदक जीतने का अपना सपना पूरा कर लिया।

'मैग्नीफिशंट मैरी' के नाम से मशहूर मैरीकॉम ने 2006 के बाद दो साल का ब्रेक ले लिया था लेकिन उन्होंने अपने संन्यास से जोरदार वापसी करते हुए 2008 में एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक और विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया था। अपने गृह राज्य के डिंको सिंह से प्रेरणा लेकर मुक्केबाज बनी मैरीकॉम ने 2010 के ग्वांगझू एशियाई खेलों में कांस्य पदक भी जीता था।

देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार 'खेलरत्न' से सम्मानित मैरीकॉम ने बार.बार कहा था कि यदि महिला मुक्केबाजी को ओलिंपिक में शामिल किया जाता है तो वह देश को पदक दिलाकर रहेंगी। आखिर उन्होंने अपनी बात को सही साबित कर दिखाया।

मैरीकॉम एक नजर : लंदन ओलिंपिक में महिला बॉक्सिंग को पहली बार शामिल किया गया है। महिला मुक्केबाजी में मैरीकॉम के मुक्के को भारत ही नहीं, पूरी दुनिया मान चुकी है। पांच बार ‍विश्व विजेता का खिताब हासिल करने वाली मैरीकॉम का पूरा नाम मैंगते चंग्नेइजैंग हैं।

मैरीकॉम का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर में हुआ। उनके पिता किसान थे। मैरीकॉम की घर आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। मैरीकॉम का बचपन भी संघर्षों में बीता। मणिपुर के बॉक्सर डिंगो सिंह की सफलता ने भी उन्हें बॉक्सिंग की ओर आकर्षित किया।

मैरीकॉम ने 2001 में पहली बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। वे राष्ट्रीय खिताब अपने नाम कर चुकी हैं। 2003 में उन्हें भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। 2006 में उन्हें पद्मश्री और 2009 में राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार मिला। (वार्ता/वेबदुनिया)

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