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मैरीकॉम ने लंदन में बचाई दल की लाज

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लंदन , गुरुवार, 9 अगस्त 2012 (18:45 IST)
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भारतीय मुक्केबाजों से लंदन ओलिंपिक खेलों में कुछ पदक जीतने की उम्मीद थी लेकिन आठ सदस्यीय मजबूत दल एक्सेल एरिना में केवल एमसी मैरीकाम की बदौलत केवल एक कांस्य पदक ही अपनी झोली में डाल सका।

जब मुक्केबाज खेलों के लिए रवाना हुए थे तो उन्हें लेकर काफी हाइप बनी हुई थी इसलिए यह परिणाम निश्चित रूप से निराशाजनक रहा है क्योंकि सभी पुरुष मुक्केबाज खाली हाथ लौट रहे हैं। पांच बार की चैंपियन 29 वर्षीय मैरीकॉम ही दल के लिए लाज बचाने वाली रहीं जिन्होंने पहली बार ओलिंपिक में शामिल की गई महिला मुक्केबाजी में ऐतिहासिक कांस्य पदक अपने नाम किया।

मैरीकाम को ओलिंपिक में शामिल हुए 51 किग्रा में जाने के लिए अपने 48 किग्रा वर्ग में बदलाव करना पड़ा जिसके लिए उन्हें काफी कठिन बदलाव के दौर से गुजरना पड़ा। दो जुड़वां बच्चों की मां ने उन मुक्केबाजों के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया जो उससे कहीं ऊंची और मजबूत थीं।

लेकिन सात पुरुष मुक्केबाज क्वार्टर फाइनल चरण से आगे नहीं पहुंच सके और भारतीय खेमे का मानना है कि इनमें से कई कुछ विवादास्पद फैसलों का शिकार बने। हालांकि कुछ भारतीय मुक्केबाज सचमुच ही काफी दुर्भाग्यशाली रहे, लेकिन उनकी हार का कारण हमेशा इस तरह के फैसले नहीं रहे।

बीजिंग ओलिंपिक के कांस्य पदकधारी विजेंदर सिंह (75 किग्रा) लगातार दो ओलिंपिक पदक जीतने वाला पहला भारतीय बनने की कोशिश में थे लेकिन वे क्वार्टर फाइनल में उज्बेकिस्तान के अबोस अतोएव से 13-17 से हार गए। (भाषा)

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