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सुशील क्यों स्वर्ण पदक से चूके?

अभ्यास के लिए अच्छे सहयोग‍ी नहीं मिले

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नई दिल्ली , रविवार, 12 अगस्त 2012 (23:03 IST)
PTI
सुशील कुमार ने लंदन ओलिंपिक खेलों में रजत पदक के साथ लगातार दो ओलिंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बनकर इतिहास रचा लेकिन उनके पिता ने कहा कि अगर उनके बेटे के साथ अभ्यास के लिए अच्छे सहयोगी होते तो वह और स्वर्ण पदक जीत सकता था।

सुशील के पिता दीवान सिंह ने कहा उसके पास अभ्यास के लिए ऐसे लोग नहीं थे, जो उसके स्तर के थे। यह निराशाजनक है कि वह ओलिंपिक स्वर्ण पदक नहीं जीत सका लेकिन इसके बावजूद उसकी उपलब्धि ऐतिहासिक है। मुझे लगता है कि विश्व स्तरी ट्रेनिंग की कमी के कारण उसने मौका खो दिया। मुझे उससे स्वर्ण पदक की उम्मीद थी।

बीजिंग खेलों के कांस्य पदक विजेता सुशील को फाइनल में जापान के तात्सुहीरो योनेमित्सु के हाथों 1-3 की शिकस्त के साथ रजत पदक से संतोष करना पड़ा।

सुशील की भविष्य की योजना के बारे में पूछने पर उनके पिता ने कहा यह उस पर निर्भर करता है कि वह जारी रखना चाहता है या नहीं। हम उसे कुछ नहीं कहेंगे।

लंदन में 60 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में कांस्य पदक जीतने वाले सुशील के साथी पहलवान योगेश्वर दत्त ने कहा कि अगर सुशील सोने का तमगा जीतता तो यह बेहतरीन होता।

योगेश्वर ने कहा यह निराशाजनक है क्योंकि हम सभी ने स्वर्ण पदक के लिए उससे उम्मीद लगा रखी थी। इसके बावजूद रजत पदक बड़ी उपलब्धि है और हमें उस पर गर्व है।

बीजिंग खेलों के कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने भी सुशील की तारीफ की। उन्होंने कहा सुशील वह करने में सफल रहा, जो हम पुरुष मुक्केबाजी में नहीं कर पाए। यह बेजोड़ उपलब्धि है और हम सभी को उस पर गर्व है। आठ साल तक उसके इस फार्म को बरकरार रखना असाधारण उपलब्धि है।

विजेंदर ने कहा पहला पदक जीतने के बाद दूसरा पदक मुश्किल काम होता है। वह अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के कारण ऐसा करने में सफल रहा।

लंदन खेलों की कांस्य पदक विजेता महिला बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने भी सुशील की सराहना करते हुए कहा मुझे पता है कि यहां पदक का दावेदार होने के लिए उसे कितने दबाव से गुजरना पड़ा होगा।

साइना ने कहा कि सुशील ने फाइनल में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जबकि वह चोटिल था। कुश्ती आसान खेल नहीं है। यह दर्शाता है कि उसने कितना अभ्यास और कड़ी मेहनत की है। (भाषा)

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