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सेक्स की अवहेलना मत करो...

सेक्स से मुक्ति : सत्यम्‌ शिवम्‌ सुंदरम्‌

हमें फॉलो करें सेक्स की अवहेलना मत करो...

ओशो

सेक्स थकान लाता है। इसीलिए मैं तुमसे कहता हूँ कि इसकी अवहेलना मत करो, जब तक तुम इसके पागलपन को नहीं जान लेते, तुम इससे छुटकारा नहीं पा सकते। जब तक तुम इसकी व्यर्थता को नहीं पहचान लेते तब तक बदलाव असंभव है।

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यह अच्छा है कि तुम सेक्स से तंग आते जा रहे हो और वह स्वाभाविक भी है। सेक्स का अर्थ ही यह है कि तुम्हारी ऊर्जा नीचे की ओर बहती जा रही है तुम ऊर्जा गँवा रहे हो। ऊर्जा को ऊपर की ओर जाना चाहिए तब यह तुम्हारा पोषण करती है, तब यह शक्ति लाती है। तुम्हारे भीतर कभी न थकने वाली ऊर्जा के स्रोत बहने शुरू हो जाते हैं- एस धम्मो सनंतनो। लेकिन यदि लगातार पागलों की तरह सेक्स करते ही चले जाते हो तो यह ऊर्जा का दुरुपयोग होगा। शीघ्र तुम अपने आपको थका हुआ और निरर्थक पाओगे।

मनुष्य कब तक मूर्खताएँ करता चला जा सकता है। एक दिन अवश्य सोचता है कि वह अपने साथ क्या कर रहा है क्योंकि जीवन में सेक्स से अधिक महत्वपूर्ण और कई चीजें हैं। सेक्स ही सब कुछ नहीं होता। सेक्स सार्थक है परंतु सर्वोपरि नहीं रखा जा सकता। यदि तुम इसी के जाल में फँसे रहे तो तुम जीवन की अन्य सुन्दरताओं से वंचित रह जाओगे। और मैं कोई सेक्स विरोधी नहीं हूँ, इसे याद रखें। इसीलिए मेरी कही बातों में विरोधाभास झलकता है, परंतु सत्य विरोधाभासी ही होता है।

मैं इसमें कुछ नहीं कह सकता। मैं बिलकुल भी सेक्स विरोधी नहीं हूँ। क्योंकि जो लोग सेक्स का विरोध करेंगे वे काम वासना में फँसे रहेंगे। मैं सेक्स के पक्ष में हूँ क्योंकि यदि तुम सेक्स में गहरे चले गए तो तुम शीघ्र ही इससे मुक्त हो सकते हो। जितनी सजगता से तुम सेक्स में उतरोगे उतनी ही शीघ्रता से तुम इससे मुक्ति भी पा जाओगे। और वह दिन भाग्यशाली होगा जिस दिन तुम सेक्स से पूरी तरह मुक्त हो जाओगे।

यह अच्छा ही है कि तुम सेक्स से थक जाते हो, अब किसी डॉक्टर के पास कोई दवा लेने मत चले जाना। यह कुछ भी सहायता नहीं कर पाएगी...ज्यादा से ज्यादा यह तुम्हारी इतनी ही मदद कर सकती है कि अभी नहीं तो जरा और बाद में थकना शुरू हो जाओगे। अगर तुम वास्तव में ही सेक्स से थक चुके हो तो यह एक ऐसा अवसर बन सकता है कि तुम इसमें से बाहर छलाँग लगा सको।

काम वासना में अपने आपको घसीटते चले जाने में क्या अर्थ है? इसमें से बाहर निकलो। और मैं तुम्हें इसका दमन करने के लिए नहीं कह रहा हूँ। यदि काम वासना में जाने की तुम्हारी इच्छा में बल हो और तुम सेक्स में नहीं जाओ तो यह दमन होगा, लेकिन जब तुम सेक्स से तंग आ चुके हो या थक चुके हो और इसकी व्यर्थता जान ली है तब तुम सेक्स को दबाए बगैर इससे छुटकारा पा सकते हो और सेक्स का दमन किए बिना जब तुम इससे बाहर हो जाते हो तो इससे मुक्त हो जाते हो।

काम वासना से मुक्त होना एक बहुत बड़ा अनुभव है। काम से मुक्त होते ही तुम्हारी ऊर्जा ध्यान और समाधि की ओर प्रेरित हो जाती है।

साभार : धम्मपद : दि वे ऑफ दि बुद्ध
सौजन्य : ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन

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