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अचला सप्तमी व्रत : कैसे करें पूजन

कैसे करें अचला सप्तमी व्रत...

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प्रतिवर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अचला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। इसे सूर्य सप्तमी, रथ आरोग्य सप्तमी, सूर्यरथ सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है। अगर यह सप्तमी रविवार के दिन आती हो तो इसे अचला भानू सप्तमी भी कहा जाता है।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान सूर्य ने इसी दिन सारे जगत को अपने प्रकाश से अलौकित किया था। इसीलिए इस सप्तमी को सूर्य जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।

आगे पढ़ें क्या करें सप्तमी के दिन...



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इस दिन क्या करें :-

* सूर्योदय से पूर्व उठकर अपने दैनिक कर्म से निवृत्त होकर घर के आसपास बने जलाशयों के बहते जल में स्नान करना चाहिए।

* स्नान के पश्चात भगवान सूर्य की आराधना करें।

* भगवान सूर्य को अर्घ्य दान करें।

* शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित कर कपूर, लाल पुष्प आदि से सूर्य का पूजन करें।

आगे पढ़ें सूर्य मंत्र


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* दिन भर भगवान सूर्य का गुनगान करें। सूर्य मंत्र का 108 बार जाप करें।

सूर्य मंत्र -

- ॐ घृणि सूर्याय नम: तथा ॐ सूर्याय नम:। आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करें।

* अपनी शक्ति अथवा स्वेच्छा नुसार गरीबों को दान-दक्षिणा दें।

* इस दिन व्रतधारियों को नमकरहित एक समय एक अन्न का भोजन अथवा फलाहार करने का विधान है।

आगे पढ़ें पौराणिक व्रत कथा...


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पौराणिक कथा :-

माघ शुक्ल सप्तमी से संबंधित कथा का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में मिलता है।

कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल पर बहुत अभिमान हो गया था। एक बार दुर्वासा ऋषि भगवान श्रीकृष्ण से मिलने आए। वे बहुत अधिक दिनों तक तप करके आए थे और इस कारण उनका शरीर बहुत दुर्बल हो गया था। शाम्ब उनकी दुर्बलता को देखकर जोर-जोर से हंसने लगा और अपने अभिमान के चलते उनका अपमान कर दिया। तब दुर्वासा ऋषि अत्यंत क्रोधित हो गए और शाम्ब की धृष्ठता को देखकर उसे कुष्ठ होने का श्राप दे दिया।

शाम्ब की यह स्थिति देखकर श्रीकृष्ण ने उसे भगवान सूर्य की उपासना करने को कहा। पिता की आज्ञा मानकर शाम्ब ने भगवान सूर्य की आराधना करना प्रारंभ किया, जिसके फलस्वरूप कुछ ही समय पश्चात उसे कुष्ठ रोग से मुक्ति प्राप्त हो गई।

इसलिए जो श्रद्धालु सप्तमी के दिन भगवान सूर्य की आराधना विधिवत तरीके से करते हैं। उन्हें आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में सूर्य को आरोग्यदायक कहा गया है तथा सूर्य की उपासना से रोग मुक्ति का मार्ग भी बताया गया है।

इस व्रत को करने से शरीर की कमजोरी, हड्डियों की कमजोरी, जोड़ों का दर्द आदि रोगों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं भगवान सूर्य की ओर अपना मुख करके सूर्य स्तुति करने से चर्म रोग जैसे गंभीर रोग भी नष्ट हो जाते हैं।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यदि विधि-विधान से यह व्रत किया जाए तो सम्पूर्ण माघ मास के स्नान का पुण्य मिलता है।

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