Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

इजहारे इश्क दिवस 'वसंत पंचमी'

'मैं ऋतुओं में वसंत हूँ।'- कृष्ण

Advertiesment
हमें फॉलो करें वसंत पंचमी
वसंत पंचमी कभारत का वेलेंटाइन-डे कहने में कोई गुरेज नहीं। भारतीय पंचांग अनुसार मौसम को छह भागों में बाँटा गया है उनमें से एक है वसंत का मौसम। इस मौसम से प्रकृति में उत्सवी माहौल होने लगता है। वसंत ऋतु आते ही प्रकृति के सभी तत्व मानव, पशु और पक्षी उल्लास से भर जाते हैं। वसंत आते-आते शीत ऋतु लगभग समाप्त होने लगती है।

ND
प्रेम का इजहार : वृंदावन और बरसाना की गलियों में राधा और कृष्ण के प्रेम की चर्चा फिर से जीवित हो उठती हैं। यह ‍दिवस आनंद और उल्लास पूर्वक नाचने-गाने का दिवस तो है ही साथ ही यदि आप अपने प्रेम का इजहार करना चाहें तो इससे अच्छा कोई दूसरा दिवस नहीं।

प्रेम का उपहार : जरूरी नहीं कि प्रेमिका को ही कोई उपहार या फूलों का गुलदस्ता भेंट करें। अपने किसी मित्र, सहकर्मी, सहपाठी, पत्नी या गुरु के प्रति सम्मान और प्यार व्यक्त करने के लिए भी आप उपहार दे सकते हैं। यह भी जरूरी नहीं कि उपहार ही दें, आप चाहें तो प्रेम के दो शब्द भी बोल सकते हैं या सिर्फ इतना ही कह दें कि 'आज मौसम बहुत अच्‍छा' है।

वसंत पंचमी के दिवस पर पेश है सुमित्रा नंदन पंत की चिदंबरा पुस्तक के लिए गई कविता।

ऋतुओं की ऋतु

फिर वसंत की आत्मा आई,
मिटे प्रतीक्षा के दुर्वह क्षण,
अभिवादन करता भू का मन !

दीप्त दिशाओं के वातायन,
प्रीति साँस-सा मलय समीरण,
चंचल नील, नवल भू यौवन,
फिर वसंत की आत्मा आई,
आम्र मौर में गूँथ स्वर्ण कण,
किंशुक को कर ज्वाल वसन तन !

देख चुका मन कितने पतझर,
ग्रीष्म शरद, हिम पावस सुंदर,
ऋतुओं की ऋतु यह कुसुमाकर,
फिर वसंत की आत्मा आई,

विरह मिलन के खुले प्रीति व्रण,
स्वप्नों से शोभा प्ररोह मन !

सब युग सब ऋतु थीं आयोजन,
तुम आओगी वे थीं साधन,
तुम्हें भूल कटते ही कब क्षण?
फिर वसंत की आत्मा आई,
देव, हुआ फिर नवल युगागम,
स्वर्ग धरा का सफल समागम !
***

पतंग का मजा : वसंत पंचमी पर पतंग उड़ाने का मजा ही कुछ और होता है, क्योंकि हवाओं में थोड़ी स्थिरता आ जाती है तो पतंग की उड़ान को ऊँचे से ऊँचा किया जा सकता है। इस उड़ान के साथ ही आप जीवन में आगे बढ़ने के लिए नए संकल्प लें और नए विचार को जन्म दें। पक्षी भी अपनी उड़ान को पुन: ऊँचाइयों तक ले जाने के लिए पंखों को दुरस्त कर लेते हैं।

webdunia
ND
वाणी और लेखनी : माँ सरस्वती को शारदा, वीणावादनी और वाग्देवीसहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। वसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। प्रत्येक देश की संस्कृति में विद्या और बुद्धि की देवी का उल्लेख मिलता है।

यदि आप नास्तिक हैं तब भी आपके लिए यह दिवस महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इसी दिन से जब प्रकृति के कण-कण में परिवर्तन हो रहा है तो स्वाभाविक ही आपके मन और बुद्धि में भी परिवर्तन हो ही रहा होगा। तब क्यों नहीं हम इस परिवर्तन को समझें। यह फिर से नया हो जाने का परिवर्तन है। - (वेबदुनिया)

इसे भी पढ़े:-
वसंत की बहार दे प्रेम का उपहार

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi