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ओणम पर्व का महत्व और कथा

परंपराओं के अनुरूप मनता है ओणम का त्योहार

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यूं तो भारत भर में हर जाति-प्रजाति के अनेक पारंपरिक त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन कुछ त्योहार ऐसे होते हैं, जिनका स्वरूप शहर में बहुत ही कम देखने को मिलता है। केरल के राजा महाबलि की स्मृति में दक्षिण भारतीय परिवारों ने ओणम का त्योहार वहां के रीति-रिवाजों व परंपराओं के अनुरूप मनाया जाता हैं।

दक्षिण भारतीय युवतियां जहां अपने घर की देहरी को फूलों की रंगोली से सजाती है तो महिलाएं खट्ठे-मीठे तमाम तरह के व्यंजनों को बनाकर उनका स्वाद अपने परिवार के साथ सामूहिक रूप से चखती हैं।

चूंकि यह त्योहार दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, इसलिए इसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है। सुबह से ही घरों की साफ-सफाई कर दक्षिण भारतीय परिवारों ने आज राजा महाबलि की याद में तमाम तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं।

मान्यता है कि राजा महाबलि के शासन में रोज हजारों तरह के स्वादिष्ट पकवान व व्यंजन बनाए जाते थे। चूंकि महाबलि साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने आते हैं, इसलिए उनके प्रसाद के लिए कई तरह के लजीज व्यंजनों को बनाए जाते हैं।
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राजा महाबलि की कथा :-
प्रचलित कथा के अनुसार राजा महाबलि की याद में ओणम को केरल राज्य में मनाया जाता है।

महाबलि अपनी प्रजा से बहुत प्यार करता था, वह गरीबों को बहुत सारा दान करता था। उसी समय भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर उसकी परीक्षा लेना चाही, जिसमें उन्होंने राजा से तीन पग जमीन दान में मांगी।

वहीं उनकी हठ भी थी कि वे जहां-जहां पैर रखेंगे, वही जमीन उन्हें दान में चाहिए, राजा मान गया तो उन्होंने अपना पहले पग से पृथ्वी नापी, दूसरे पग से स्वर्ग को नापा। तीसरा पग जैसे ही उन्होंने महाबलि के सिर पर रखा तो वे सीधे पाताल में चले गए।

राजा महाबलि ने वामन अवतार से साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने का वर मांगा, तब से ही यह दिन दक्षिण भारतीयों में ओणम के नाम से मनाया जाता है। वैसे तो यह त्योहार केरल में दस दिन तक मनाया जाता है।

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