Ramcharitmanas

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

क्यों है आखा तीज का विशेष महत्व

Advertiesment
हमें फॉलो करें 2014 आखा तीज
अक्षय तृतीया के पावन पर्व को कई नामों से पहचाना जाता है। इसे आखा तीज और वैशाख तीज भी कहा जाता है। इस साल यह त्योहार 2 मई 2014 को मनाया जा रहा है।

भारतीय शास्त्रों में 4 अत्यंत शुभ सिद्ध मंगल मुहूर्त माने गए हैं-

1. गुड़ी पड़वा

2. अक्षय तृतीया

3. दशहरा

4. दीपावली के पूर्व की प्रदोष



webdunia
FILE


वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को 'अक्षय तृतीया' या 'आखातीज' कहते हैं। 'अक्षय' का शाब्दिक अर्थ है- जिसका कभी नाश (क्षय) न हो अथवा जो स्थायी रहे। स्थायी वही रह सकता है जो सदा शाश्वत है।

इस पृथ्वी पर सत्य केवल परमात्मा है जो अक्षय, अखंड और सर्वव्यापक है यानी अक्षय तृतीया तिथि ईश्वर की तिथि है। इसी दिन नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था इसलिए इनकी जयंतियां भी अक्षय तृतीया को मनाई जाती है।

परशुरामजी की गिनती 7 चिंरजीवी विभूतियों में की जाती है। इसी वजह से यह तिथि 'चिरंजीवी तिथि' भी कहलाती है। चार युग- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग में से त्रेतायुग का आरंभ इसी अक्षय तृतीया से हुआ है।

webdunia
FILE


अंकों में विषम अंकों को विशेष रूप से '3' को अविभाज्य यानी ‘अक्षय’ माना जाता है। तिथियों में शुक्ल पक्ष की ‘तीज’ यानी तृतीया को विशेष महत्व दिया जाता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को समस्त तिथियों से सबसे विशेष स्थान प्राप्त है।

‘अक्षय तृतीया’ के रूप में प्रख्यात वैशाख शुक्ल तीज को स्वयं सिद्ध मुहूर्तों में से एक माना जाता है।


webdunia
FILE


पौराणिक मान्यता है कि इस तिथि में आरंभ किए गए कार्यों को कम से कम प्रयास में ज्यादा से ज्यादा सफलता मिलती है। अक्षय तृतीया में 42 घट‍ी और 21 पल होते हैं।

सोना खरीदने के लिए यह श्रेष्ठ काल माना गया है। अध्ययन आरंभ करने के लिए यह सर्वश्रेष्ठ दिन है। अक्षय तृतीया कुंभ स्नान व दान पुण्य के साथ पितरों की आत्मा की शांति के लिए आराधना का दिन भी माना गया है।

क्या शुभ काम कर सकते हैं

शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। अक्षय तृतीया पर सूर्य व चंद्रमा अपनी उच्च राशि में रहते हैं।

तिथि का उन लोगों के लिए विशेष महत्व होता है। जिनके विवाह के लिए ग्रह-नक्षत्र मेल नहीं खाते। इस शुभ तिथि पर सबसे ज्यादा विवाह संपन्न होते हैं।


हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi