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नागराज...!
- शिवनारायण टुवानी
तुम धरती सिर पर धरें, ढोओ माँ का भार। सेवा श्रवणकुमार-सी, माँ का प्यार अपार॥ शोभा शंकरजी गले, बैठे, बनकर हार।शयन विष्णुजी वास्ते, बन शय्या तैयार॥ द्वापर युग जब आय तो, तुम कान्हा के साथ। वास कालियादेह में, चरण प्रभो तुम माथ॥ कान्हा तुम से रंग लें, रंग ले गय राम। एक कहाये साँवरे, दूजे हों घनश्याम॥ भय बिन होय न प्रीत का, सबको मंत्र सिखाय। और लखन बन राम संग, लंका विजय करायं॥ नागपंचमी के दिवस, पूजें घर-घर लोग। कंकू-अक्षत फूल चढ़ें, लगे दुग्ध का भोग॥रहें अमर संसार में, तुम मानव के मीत। श्रावण में तव दिवस पर, गाय आपके गीत॥