Biodata Maker

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

पौराणिक कथाओं में सांझी

सांझी : एक नजर में

Advertiesment
हमें फॉलो करें सांझी पर्व के गीत
FILE

भाद्रपद की पूर्णिमा से अश्विन मास की अमावस्या तक अर्थात पूरे श्राद्ध पक्ष में सोलह दिनों तक सांझी पर्व मनाया जाता है। सांझी का त्‍योहार कुंआरी कन्‍याएं बहुत ही उत्‍साह और हर्ष से इस पर्व को मनाती हैं।

* पौराणिक कथाओं में ब्रह्मा के मानस पुत्र पीललम ऋषि की पत्नी 'सांझी' थी, जिसे मां दुर्गा भी कहते हैं।

* सांजी, संजा, संइया और सांझी जैसे भिन्न-भिन्न प्रचलित नाम अपने शुद्ध रूप में संध्या शब्द के द्योतक हैं।

* एक लोक मान्यता के अनुसार- 'सांझी' सभी की 'सांझी देवी' मानी जाती है। संध्या के समय कुंआरी कन्याओं द्वारा इसकी पूजा-अर्चना की जाती है। संभवतः इसी कारण इस देवी का नाम 'सांझी' पड़ा है।

webdunia
FILE
* कुछ शास्त्रों के अनुसार धरती पुत्रियां सांझी को ब्रह्मा की मानसी कन्या संध्या, दुर्गा, पार्वती तथा वरदायिनी आराध्य देवी के रूप में पूजती हैं।

* इन दिनों चल रहे श्राद्ध पक्ष के पूरे 16 दिनों तक कुंआरी कन्याएं हर्षोल्लासपूर्ण वातावरण में दीवारों पर बहुरंगी आकृति में 'सांझी' गढ़ती हैं तथा ज्ञान पाने के लिए सिद्ध स्त्री देवी के रूप में इसका पूजन करती हैं।

* पांच अंतिम दिनों में हाथी-घोड़े, किला-कोट, गाड़ी आदि की आकृतियां बनाई जाती हैं।

* सोलह दिन के पर्व के अंत में अमावस्या को सांझी देवी को विदा किया जाता है।

प्रस्तुति - Rajashri

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi